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________________ आचार्य श्री तुलसी विरचित 'माणक-महिमा' और 'डालिम चरित्र' में आवर्तन के परिदश्य : शैलीवैज्ञानिक संदृष्टि - डॉ० कृष्ण कुमार शर्मा शैलीवैज्ञानिक अध्ययन कृति का भाषानिष्ठ विश्लेषण है । यह प्रणाली कृति के संदेश को वस्तुनिष्ठता से उजागर करने का विधान प्रस्तुत करती है। शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण संदर्भ के प्रकाश में किया जाता है और इसीलिए संदर्भबद्ध (context Bound) संरचनाओं को शैलीचिह्नक के रूप में पहचाना गया है। किसी रचना के भाषिक पट में संलक्षित-समांतरता, आवर्तन, अग्रप्रस्तुति, विचलन, प्रशासन आदि उपादानों का विश्लेषण इस विधि में अपेक्षित है। ___इस विधि से राजस्थानी भाषा में रचित तेरापंथ के साहित्य का अध्ययन नये आयाम उन्मीलित कर सकता है, पर साहित्य विपुल मात्रा में है और यह अध्ययन समय की अपेक्षा रखता है। प्रस्तुत आलेख में- 'माणक महिमा' और 'डालिम चरित्र' ये दो ग्रंथ ही लिये गये हैं और आवर्तन तथा किञ्चित् अन्य प्रतिमानों का भी सहारा लिया गया है। तेरापंथ के साहित्य ने नैतिकता, दृढ़चरित्र और उदात्त भावों का प्रसारण तो किया ही है, राजस्थानी भाषा की भी महती सेवा की है। राजस्थानी भाषा में वाङमय के विविध रूपों का प्रणयन हो रहा है, किन्तु उसकी पहुँच जन-जन तक नहीं है। तेरापंथ का प्रचार-प्रसार व्यापक है, असंख्य अनुयायी हैं इस पंथ के, उनके बीच यह साहित्य श्रद्धा और आदर के साथ पढ़ा-सुना जाता है । यह साहित्य सरल राजस्थानी में है, इससे राजस्थानी भाषा की शक्ति विकसित हुई है । मैंने आचार्य तुलसी विरचित 'माणक महिमा' और 'डालिम चरित्र' ग्रन्थ पढ़े हैं। आचार्य श्री संस्कृत, प्राकृत और हिन्दी के जैसे कुशल प्रयोक्ता हैं, राजस्थानी भाषा के लोक प्रचलित मुहावरों और सटीक शब्द प्रयोग के भी उतने ही खरे जानकार हैं । ये दोनों ग्रन्थ प्राकृत-अपभ्रंश को चरितकाव्य-परम्परा का आधुनिक राजस्थानी में निर्वाह करते हुए भी उस परम्परा से अलग हैं, या कहें आगे हैं। इनकी अपनी शैली है, पूरा कथाचक्र ढालों में नियोजित है, ढालों के अंतर्गत दूहा, सोरठा, नवीन आदि छंदों में विभिन्न प्रसंग प्रस्तुत किये जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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