SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तेरापंथ का राजस्थानी गद्य - साहित्य हुंडी -- हुंडयां एक प्रकार से विस्तृत विषय सूचियां हैं । आगम तथा कुछ विशिष्ट विषयों पर अनेक हुंडियां लिखी गई हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं१. निशीथ की हुंडी २. वृहत्कल्प की हुंडी ३. व्यवहार की हुंडी ४. भगवती की संक्षिप्त हुंडी ५. भ्रम विध्वंसन की हुंडी ( इन सबके लेखक जयाचार्य हैं ) ६. तीन सौ छह बोलां की हुंडी ७. एक सौ इक्यासी बोलां की हुंडी (आचार्य भिक्षु द्वारा ) लिखी गई ८. लंका महंता की हुंडी ९. पुराण की हुंडी बहुत प्रसिद्ध है । सिद्धान्त सार तेरापंथ के आद्य गुरु आचार्य भिक्षु के साहित्य का एक बड़ा भाग आगम-ग्रन्थों से अनुप्राणित रहा है । निश्चय ही उनका आगम स्वाध्याय अत्यंत पुष्ट था । जयाचार्य ने उसके एक-एक संदर्भ की बडी परिश्रम पूर्ण खोज की है। आज से सौ वर्ष पूर्व इस प्रकार की संदर्भित अध्ययन दृष्टि अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है । सिद्धांतसारों के दो रूप हैं । एक लघु तथा दूसरा वृहद् । उनकी सूची इस प्रकार है--- नव पदार्थ की चौली बार व्रत री कालवादी पर्यायवादी मर्यादावली टीकम डोसी निक्षेप की चौपई एकल री चौली जिनाज्ञा री पोतियाबंध " Jain Education International 11 71 " 31 " 32 22 विनीत - अविनीत की चौपई अनुकम्पा री वृताव्रत श्रद्धा आचार लघु सिद्धांत सार 11 जिनाज्ञा मिथ्यात्वी "" पर सिद्धांत सार ," 33 "" " 23 11 " "" "" "" " 12 " श्रद्धा री चौपी पर सिद्धान्त सार वृताव्रत "" " For Private & Personal Use Only जयाचार्य "1 2:3 12 18 11 31 "1 33 " " 23 www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy