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कालयशोविलास : विविध संगीतों का संगम
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५६. पायल वाली पद्मनी ५७. पिउ पदमण नै पूछे जी ५८. पिओ नी परदेशी ५९. प्रीतम जी हिवै तुम वेग पधारो ६०. पुण्यसार सुख भोगवै ६१. बगीची निंबूवां की ६२. बधज्यो रे चेजारा घारी बेल ६३. बाह्यौ गुलाबशाही केवड़ो ६४, बोले बालक बोलड़ा रे ६५. भजिये निशदिन कालगणिंद ६६. भलो दिन ऊग्यो ६७. भवन सुन्दरी जय सुन्दरी ६८. भविकां नृपनी बेटी गुण नी पेटी ६९. भंविका मिथुन ऊपर दृष्टंत कहै जिन ७०. भावै भावना ७१. भूमीश्वर अलवेश्वर कानन फेरै तुषार ७२. मनवा नांय विचारी रे ७३. महिलां रो मेवासी हो लसकरियो ७४. माढ ७५. मुनिवर विहरण पांगुरा सखि ७६. मुनि मन चलियो रे तू घेर ७७. मुनिवर ने आपो झंपड़ी आंपारी ७८. मूक म्हारो केडलो मैं ऊभी हूँ हजूर रे ७९. म्हांनै चाकर राखोजी । ८०. म्हारा लाडला जंवाई कुत्ती पाल लीज्यो जी ८१. म्हारी रस सेलड़िया आदी जिनेसर कीधो पारणो ८२. म्हारै रे पिछोकड बाह्यो रे कसुम्बो ८३. म्हारो घणा मोल रो माणकियो कुण पापी लेग्यो रे ८४. रच रह्यौ ज्ञान ज चरचा स्यू ८५. राख नां रमकड़ा ८६. राजा राणी रंग थी रे खेले अनुपम खेल ८७. रात रा अमला में होको गहरो गूजे हो राज ८८. राम रट लै रे प्राणी ८९. रूडै चंद निहालै रे नवरंग ९०. रूठोड़ा शिव शंकर म्हारै घरे पधारो जी
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