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आदर्श जन सेवक कौन ?
जनता आचरण देखती है
आज मैं महिला कार्यकत्रियों के प्रशिक्षण शिविर में आया हूं | सार्वजनिक कार्यकर्ताओं या कार्यकत्रियों की जीवनशैली कैसी होनी चाहिए, इसका स्पष्ट चित्र शिविर-प्रशिक्षु प्रत्येक कार्यकर्त्री के दिमाग में बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए। एक अच्छे कार्यकर्ता का जीवन विनय, त्याग, ऋजुता एवं नैतिकला से अभिमंडित होना चाहिए, अन्यथा वह जनता को प्रभावित नहीं कर सकता | लोगों पर उसके कहने का वह प्रभाव नहीं पड़ता, जो उसकी जीवन-चर्या का पड़ता है । जनता यह नहीं देखती कि वह क्या कहता है ?
for वह तो यह देखती है कि वह क्या करता है ? उसका आचरण कैसा है ? लोगों के साथ उसका व्यवहार कैसा है ? उसकी विचार- शैली कैसी है ? विकास - अवरोधक तत्व
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अहंकार जीवन - विकास का सबसे बड़ा अवरोधक तत्व है । यह विनय-नम्रता जैसे सात्विक गुणों को ढकता है । इसलिए प्रत्येक कार्यकर्त्री के लिए यह अत्यावश्यक है कि वह इससे सलक्ष्य बचती हुई अपने जीवन में निर्हकारिता को प्रकटाए, सात्विक गुणों की सुरक्षा करे ।
दंभ और छलना भी जीवन - विकास के अन्य बाधक तत्व हैं । प्रत्येक कार्यकर्त्री को इनसे भी अपने को अछूता और अप्रभावित रखना अपेक्षित है । इससे उसे अपने जीवन को संवारने में बहुत महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा । सेवाधर्मः परम गहनो
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प्रश्न है, वह इनसे अछूती और अप्रभावित कैसे रहे ? इसके लिए उसे स्वयं को साधना होगा । अपने-आपमें ही वह क्षमता पैदा करनी होगी । गहराई से देखा जाए तो एक जन सेवक का जीवन साधना का जीवन है । यह कोई बच्चों का खेल-तमाशा नहीं । राजर्षि भर्तृहरि ने तो यहां तक कह दिया - 'सेवाधर्मः परम गहनो योगिनामप्यगम्यः ।' सेवा परम गहन तत्व है, योगिजनों के लिए भी वह अगम्य है । उसके रहस्य को समझना उनके लिए भी सहज नहीं है । पर इस बात को सुनकर किसी कार्यकर्त्री को निराश
आदर्श जन-सेवक कौन ?
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