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चतुराई का उपयोग जीवन-निर्माण की दिशा में हो ___व्यापारी लोगों से भी एक बात कहना चाहता हूं। उनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे बहुत चतुर होते हैं । इस परिप्रेक्ष्य में मेरा उनको आह्वान है कि वे अपनी इस चतुराई का उपयोग जीवन-निर्माण की दिशा में करें । वे इस बात पर ध्यान दें कि व्यापार का क्षेत्र निर्भयता एवं प्रामाणिकता का क्षेत्र है। पर दुर्भाग्य से आज वह बहत बदनाम है। वह भय, भ्रष्टाचार और अप्रामाणिकता का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। इस बदनामी को मिटाकर उन्हें अपनी प्रतिष्ठा पुनः कायम करनी है। इसके लिए उन्हें अपने व्यवहार और आचरण पर सूक्ष्मता से ध्यान देना होगा। जो अनैतिक और भ्रष्ट प्रवृत्तियां उन्हें बदमान करने में कारण बन रही हैं, उन्हें चुनचुनकर बाहर करना होगा। उनके स्थान पर नैतिक एवं प्रामाणिक व्यवहार को प्रतिष्ठित करना होगा। यह एक ऐसा कार्य है, जो न केवल उनके स्वयं के लिए वरदायी है, अपितु राष्ट्रीय चरित्र को ऊंचा उठाने की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
अणुव्रत आंदोलन के रूप में हमने एक जीवन-निर्माणकारी कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। यह कार्यक्रम व्यक्ति-व्यक्ति को अपनी जीवनगत बुराइयों से मुक्त होकर नैतिक एवं प्रामाणिक जीवन जीने की अभिप्रेरणा देता है। आप भी इस आंदोलन से जुड़कर अपने जीवन-निर्माण की दिशा का उद्घाटन करें। कानपुर २६ अप्रैल १९५८
महके अब मानव-मन
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