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जागरूक रहे। आज राष्ट्र में जो नैतिक अधःपतन हो रहा है, उसको रोकने के लिए उसकी यह जागरूकता निर्णायक भूमिका निभाएगी । यदि एक-एक विद्यार्थी यह संकल्प कर लेता है कि वह किसी भी अनैतिक आचरण को अपने जीवन में स्थान नहीं देगा, अनुशासनहीनता और उच्छृखलता जैसी प्रवृत्तियों से कोसों दूर रहेगा तो राष्ट्र की तस्वीर स्वयं बदल जाएगी। समाज और राष्ट्र के भावी कर्णधार आज के विद्यार्थी ही तो हैं । उनका जीवन बुराइयों से जिस सीमा तक अछ्ता रहेगा, वे समाज और राष्ट्र की उतनी ही अच्छी सेवा कर सकेंगे । अणुव्रत आंदोलन विद्यार्थियों की नैतिक एवं चारित्रिक चेतना जागृत करने का अभियान चला रहा है। यह प्रसन्नता की बात है कि राष्ट्र के विद्यार्थी बड़ी संख्या में इस अभियान के साथ जुड़ रहे हैं। उपस्थित छात्राओं से भी आह्वान करता हूं कि वे इस अभियान के साथ जुड़कर अपने जीवन में बुराइयों के प्रवेश को रोकने के लिए सुरक्षा-कवच बनाएं।
कानपुर २६ अप्रैल १९५८
महके अब मानव-मन
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