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________________ है । जो अनुभूति से गुजर चुके हैं, वे ही उसकी महत्ता जानते हैं । आप भी जब संयम या आत्म-नियंत्रण का पथ स्वीकार करेंगे तो स्वयं उस अनुभूति से संपन्न हो जाएंगे, उसकी महत्ता से परिचित हो जाएंगे । मैं देखता हूं, लोग आत्म-नियंत्रण की बात का मूल्यांकन न करने के कारण इस पथ से दूर-दूर ही रहते हैं अथवा जानकर भी अपनी दुर्बलता के कारण उस पर कदम नहीं बढ़ा पाते । इस वजह से उनके जीवन में अनेक प्रकार की विषमताएं और समस्याएं पैदा हो जाती हैं। वर्ग संघर्ष, आपसी कलह, दुर्दान्त लालसा ये सब उसी के विभिन्न परिणाम हैं । इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि व्यक्ति संयम और आत्म-नियंत्रण की बात का यथार्थ मूल्यांकन करता हुआ स्वेच्छा से इस दिशा में अग्रसर हो । परिस्थितियों से बाधित होकर अथवा परवशता में संयम का पथ अपनाना उसके लिए कहां तक शोभास्पद है, यह वह स्वयं समझ सकता है । अणुबम बनाम अणुव्रत अणुव्रत आन्दोलन संयम की भित्ति पर अवस्थित एक जीवननिर्माणकारी व्यापक कार्यक्रम है । आज भौतिकवाद अपने चरम विकास की भूमिका में है । उसका दुष्परिणाम हमारे सामने है । ज्यों-ज्यों भौतिकता बढ़ी है, त्यों-त्यों विनाश की लीला भी बढ़ती गई है । और आज तो वह अपने चरम शिखर को छू रही है । सम्पूर्ण विश्व आज बारूद के ढेर पर पड़ा है । अणुबम उसका पूर्ण रूप है। ऐसे समय में अणुव्रत आंदोलन निर्माण का पथ प्रशस्त करता है । वह जन-जीवन में शान्ति और समता का समावेश करना चाहता है । एक अपेक्षा से यह अणुबम और अणुव्रत में सीधी टक्कर है। अणुबम की नींव जहां हिंसा पर टिकी है, वहीं अणुव्रत आत्म-नियंत्रण, अहिंसा और मैत्री पर टिका है । वह समाज के विभिन्न वर्गों में फैले संघर्ष और क्लेश को दूर करने का एक अमोघ साधन है । उदाहरणार्थ, आज पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग में खुला संघर्ष चल रहा है। यह बताए जाने की अपेक्षा नहीं है कि उसका आधार अर्थ है । अणुव्रत आन्दोलन इस समस्या को संयम या आत्म-नियंत्रण की भूमिका पर समाहित करना चाहता है । इस संदर्भ में उसका मार्गदर्शन है- पूंजीपति असीम अर्थ-लालसा, शोषण और उत्पीड़न को छोड़ें। अर्थ को अपने जीवन का चरम लक्ष्य न मानें । वृत्तियों को संयमोन्मुख बनाएं। इसी प्रकार श्रमिकजन श्रम से जी चुराने या कम-से-कम श्रम कर मालिक से अधिकसे अधिक पैसा पाने की मनोवृत्ति का त्याग करें। इस तरह वह दोनों ही वर्गों को आत्मानुशासन की ओर प्रवृत्त करने का प्रयास करता है । इसी प्रकार दूसरे दूसरे वर्गों में चल रहे पारस्परिक संघर्ष एवं इसी प्रकार की अन्यान्य समस्याओं को समाहित करने के लिए भी आत्मनियंत्रण का आलोक बड़ा कौन ? Jain Education International For Private & Personal Use Only ५७ www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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