SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देखने के लिए सहस्राक्ष बन जाता है। राई-सी छोटी भूल को भी पहाड़ के रूप में देखता है। पर स्वयं की बड़ी-से-बड़ी भूल को भी नजर-अन्दाज कर देता है । प्राप्त दो आंखों को भी मूंद कर अंधेरा कर लेता है । मैं दृढ़ आत्मविश्वास के साथ कहता हूं, यदि बन्दी भाई ईमानदारी के साथ आत्मालोचन करेंगे तो उनके जीवन में एक अप्रत्याशित परिवर्तन घटित होगा, उनके जीवन का समूचा कायाकल्प ही हो जाएगा। ऐसी स्थिति में समाज के नजरिये में भी बदलाव की संभावना जनमेगी। आज जो समाज बन्दी लोगों को दूर-दूर रखना चाहता है, कल वही उन्हें अपनाने की मानसिकता में आ सकता है। सूर्योदय हो सकता है बन्दी भाई इस बात को हृदयंगम करें कि गंगा में जाकर स्नान करने से, भगवान की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने से, मस्जिद में नमाज पढ़ने से........ पापप्रक्षालन नहीं होगा। सचमुच मन में पाप के प्रति घृणा है तो वे सरल हृदय से अपने अपराधों को मंजूर करें। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि वे उन दुष्प्रवृत्तियों को पुनः न दुहराने के लिए संकल्पबद्ध हों। यदि एसा होता है तो निश्चित ही उनके जीवन में फिर से सूर्योदय हो सकेगा। सच्चा अधिकारी कौन ? बन्दीगृह के अधिकारियों से भी एक बात कहना चाहता हूं। वे भी अपना आत्मालोचन करें। कहीं उन्होंने रिश्वत तो नहीं ली ? प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग तो नहीं किया ? पक्षपातपूर्ण व्यवहार तो नहीं किया ? यदि नहीं किया तो ठीक, अन्यथा वे अधिकारी कहलाने के सच्चे अधिकारी नहीं हैं। ख्याल रहे, सच्चा अधिकारी वही है, जिसने अपने जीवन में कभी भी अपराध नहीं किया है। बक्सर (शाहबाद) ३१ दिसम्बर १९५८ बन्दीगृह सुधारगृह बनें १८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy