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ऐतिहासिक एवं स्वर्णिम दिन
संयममय जीवन हो *
पंचमी का दिन है । ही, स्वर्णिम भी है । दिन मेरी जन्मभूमि कालगणी के पावन करकमलों से मेरा संस्कार की संपन्नता के साथ ही मेरा सम्पूर्ण धारा ही बदल गई । दीक्षा सुजानगढ़ के लिए विहार कर दिया। दीक्षा के साथ शुरू हुआ यह पाद - विहार का क्रम अब तक सतत चल रहा है। इस अवधि में मैं हजारों-हजारों मील घूमा हूं, देश के विभिन्न प्रान्तों में धर्म का, मानवता का संदेश मैंने सुनाया है । मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस कार्य में मेरा उत्साह सतत प्रवर्धमान रहा है ।
आज २९ दिसम्बर का दिन है । भारतीय दृष्टि से आज पौष कृष्णा मेरे लिए पौष कृष्णा पंचमी का दिन ऐतिहासिक तो है आज से तैंतीस वर्ष पूर्व विक्रम संवत् १९८२ को इसी लाडनूं में प्रातः सूर्योदय के साथ ही पूज्यवर गुरुचरण दीक्षा - संस्कार संपन्न हुआ । दीक्षादूसरा जन्म हो गया. मेरे जीवन की संपन्नकर पूज्य गुरुदेव ने लाडनूं से
अणुव्रत सार्वजनीन धर्म है
धर्म और मानवता का यह संदेश मैं अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से देता हूं | धर्म से आप किसी सम्प्रदायविशेष का अर्थ ग्रहण न करें। मैं जिस धर्म की बात कहता हूं, वह सम्प्रदायातीत धर्म की बात है, सार्वजनीन धर्म की बात है | मेरी दृष्टि में ऐसा धर्म ही व्यापक फैलाव पा सकता है, मानवजाति का व्यापक हित साध सकता है। कुछ ही वर्षों में अणुव्रत आन्दोलन ने जो फैलाव पाया है, व्यापक जन समर्थन प्राप्त किया है, वह इसी तथ्य को पुष्ट करता है ।
अणुव्रत आंदोलन का आधार
पूछा जा सकता है, अणुव्रत आंदोलन का आधार क्या है ? अणुव्रत आन्दोलन का आधार है- व्रत । व्रत समुद्र की तरह अपार है । समुद्र को उठाकर उसके पानी का उपयोग कोई नहीं कर सकता । इसके लिए व्यक्ति * ३४वें दीक्षा दिवस के अवसर पर प्रदत्त प्रवचन ।
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महके अब मानव-मन
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