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________________ ९५ प्राथमिकता किसको ? आज निर्माण का युग है । चारों ओर निर्माण की चर्चा है। प्रश्न है, निर्माण के क्षेत्र में हम प्राथमिकता किसे दें ? क्या बड़े-बड़े कारखानों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाए ? क्या बड़ी-बड़ी सड़कों, पुलों और मकानों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाए ? इस श्रृंखला में और भी बहुत सारी प्राथमिकताएं गिनाई जा सकती हैं। पर मेरी दृष्टि में सबसे प्राथमिक और आवश्यक निर्माण कार्य मनुष्य का निर्माण करना है, मानवता का निर्माण करना है । आप देख रहे हैं कि आज मानव अपने मानवीय गुणों को किस प्रकार भूलता जा रहा है । उस पर दानवता सवार हो रही है । क्या नेता, क्या कर्मचारी, क्या व्यापारी, क्या कार्यकर्त्ता, क्या अध्यापक, क्या विद्यार्थी सबका जीवन अनैतिक और सदाचारशून्य बन रहा है । अहिंसा, सत्य आदि तत्वों को अनदेखा किया जा रहा है। विचार और आचार के बीच एक बड़ी खाई बन गई है । इस परिस्थिति में मानवता खण्ड-खण्ड हो रही है । इसलिए मैंने कहा कि मानव और मानवता के निर्माण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मानव मानव बने साधु-सन्त आगे आएं मानव और मानवता के निर्माण का यह कार्य आज युद्धस्तर पर चलाए जाने की जरूरत है । प्रश्न है, यह कार्य कौन करे ? निश्चय ही हर कोई यह कार्य नहीं कर सकता । यह निर्माण कार्य वही कर सकता है, जो स्वयं इस दृष्टि से निर्मित है । इस अपेक्षा से साधु-संत यह जिम्मेवारी बहुत अच्छे ढंग से निभा सकते हैं । वे सदाचार की साक्षात् प्रतिमा होते हैं, जन-जन के लिए सदाचार की प्रेरणा भी बनते हैं । उनकी बात बहुत सहजतया लोगों के मन को प्रभावित करती है । इसलिए मैं राष्ट्र के साधु-संतों को कहना चाहता हूं कि वे इस निर्माण कार्य को प्राथमिकता से करें । कल्पना की ऊंची-ऊंची उड़ान भरने की अपेक्षा मानव को मानव बनने का संदेश दें । भगवान, स्वर्ग, नरक, पुण्य जैसी गूढ़ बातों की दार्शनिक व्याख्या में उलझाने के स्थान पर मानवता का पथ प्रशस्त करें । १७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only महके अब मानव-मन www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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