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स्वरूप को लोगों के सामने रखें। इस बात को पलट कर इस शब्दावली में भी कहा जा सकता है कि व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के चारित्रिक एवं नैतिक धरातल को ऊंचा उठाने की उन पर एक गुरुतर जिम्मेवारी है और इस जिम्मेवारी को वे धर्म के सही स्वरूप को जन-जन में प्रचारित-प्रसारित करके ही अच्छे ढंग से निभा सकते हैं । अणुव्रत आंदोलन का अभिप्रेत
__ अणुव्रत आंदोलन जन-जन के चारित्रिक एवं नैतिक जागरण का पवित्र उद्देश्य लेकर चलनेवाला एक व्यापक अभियान है। धर्म के सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह आदि उन मौलिक तत्वों का इसमें समावेश किया गया है, जो जैन, बौद्ध, वैदिक, मुसलमान सबको समान रूप से मान्य हैं। इसका तीव्र प्रयत्न है कि धर्मग्रंथों एवं धर्मपंथों के जीवननिर्माणकारी तत्वों को जन-जीवनव्यापी बनाया जाए। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि जाति, वर्ण, वर्ग, लिंग, रंग, सम्प्रदाय आदि सभी प्रकार की सीमाओं से अतीत है। जीवन-शुद्धि या आत्म-पवित्रता में विश्वास रखनेवाला कोई भी व्यक्ति अणुव्रती बनने का अधिकारी है, भले वह किसी भी जाति, वर्ण, वर्ग सम्प्रदाय से संबंधित क्यों न हो। आशा और अपेक्षा करता हूं कि आप लोग अणुव्रत आंदोलन के दर्शन एवं उद्देश्य को हृदयंगमकर संकल्पबद्ध अणुव्रती बनेंगे। स्वस्थ समाजनिर्माण की दिशा में आपकी यह एक शुभ शुरुआत होगी ।
नागरी प्रचारिणी सभा, काशी २३ दिसम्बर १९५८
महके अब मानव-मन
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