SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीनों ही वर्गों को इस बिन्दु पर गंभीरता से चिन्तन करना चाहिए । विद्यार्थी : सबसे मूल्यवान् सम्पत्ति यह एक सर्व-विदित तथ्य है कि आज के विद्यार्थी आने वाले युग के कर्णधार और नेता हैं । इस अपेक्षा से विद्यार्थी-वर्ग राष्ट्र की सबसे मूल्यवान् संपत्ति है । इसकी सुरक्षा राष्ट्र की संस्कृति की सुरक्षा है। राष्ट्र के वर्तमान कर्णधारों को सोचना है कि इस सर्वाधिक मूल्यवान् संपत्ति की कितनी सुरक्षा हो रही है ? इस सन्दर्भ में विद्यार्थियों से कहना चाहता हूं कि वे भी अपने विद्यार्थी-काल का सही-सही मूल्यांकन करें। वे अपने-आपको अनुशासनप्रिय एवं सदाचारी बनाएं। भारतीय संस्कृति में अविनीत को विद्या का अपात्र माना गया है। विनय ही व्यक्ति को सही अर्थ में पात्रता प्रदान करता है। अविनीत के पास प्रथम तो विद्या आती नहीं, कदाचित् आ भी जाती है तो वह उसके लिए हितकर नहीं होती । वह उससे लाभ के स्थान पर नुकसान ही उठाता है। अपेक्षा है, विद्यार्थी एवं प्राध्यापक इन बातों को हृदयंगम कर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करेंगे, जिससे शिक्षा व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए वरदायी बन सके । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी २३ दिसम्बर १९५८ १७२ महके अब मानव-मन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy