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(५३) देखिये ! छठे अङ्गके इस मूलपाठसें भी देवद्रव्य सिद्ध हुआ। क्योंकि जो गहने आदि चढ़ाये गये उसे देवद्रव्यही कह सकते हैं.
तटस्थ-आपने छट्टे अङ्गके मूलपाठसे देवद्रव्यको सिद्ध कर मेरे पर बड़ी भारी कृपा की है. मैं नहीं जानता कि-बेचरदासको क्या होगया है जोकि ऐसे ऐसे स्पष्ट पाठोंके होने पर भी जिसने देवद्रव्यके विषयमें अगड़ बगड़ उत्पटान भाषण देदिया .
हां मालूम हुआ कि-इसके नसिबमें अनन्तकालतक संसारमें भटकर कर मरनेका ही होगा अन्यथा सूत्रविरुद्ध प्ररूपणा कदापि नहीं करता अस्तु, कृपाकरके पैंतालिस आगमोंमेंसे और भी प्रमाण सुनावे जिससे नास्तिकोंके संसर्गसे बिगड़ी हुई लोकोंकी श्रद्धा शुद्ध हो और आगे कभी ऐसे नास्तिकोंके जालमें न फसें।
समालोचक-अच्छा देखिए ! बावीस हजारे आवश्यक सामायिकाध्ययनमें पत्र ३६८ वें में ) इसी विषयकी सिद्धि करनेवाला पाठ मिलता है
तथाहि- सो य सेणियस्स सोवणियाण जवाणमट्टसतं करेइ, चेइयच्चणियाए परिवाडिए सेणिओ कारेइ तिसझं'
भावार्थ-वह सोनार श्रेणिक महाराजके लिये सोनेके १०८ जव करता है, जिनेश्वर प्रभुकी पूजाके लिये श्रेणिक महाराज प्रातःकाल दुपहर और सन्ध्याको क्रमसे कराते हैं।
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