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________________ (४७) गंधोदएणं न्हाणेति न्हाणेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणणं गायाणं अलिंपइ जिणपडिमाणं अहयाई देवदूसजुयलाई नियंसेइ पुप्फारुहणं मल्लारुहणं, गन्धारुहणं वण्णारहणं चुण्णारहणं वत्थारुहणं आभरणारुहणं करेइ करित्ता आसत्ता सत्ताविउलवट्टबग्धारियमल्लदामकलावं . करेइ करग्गहगहितकरयलप्पबुढविप्पमुक्केणं दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेइ करित्ता जिणपडिमाणं पुरतो अच्छेहिं सेएहिं रययामएहिं अच्छरसतंडुलेहिं अट्ठ मंगले आलिहइ तंजहा सोत्थिय जाव दप्पणा ८ तयाणंतरं च णं चंदप्पहरयणविमलदंड कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडझंतधूवमघमघतगंधूत्तमाण चिठंति धूववुष्टि विणिमुयंतं वेरोलिय मयं कडुच्छयं परिग्ग हिय पयत्तेणं धूवं दाउणंजिण वराण' इत्यादि पाट है। भावार्थ-उसवक्त वह सूर्याभदेवता चारहजार सामानिकदेवता तथा दूसरे अनेक सूर्याभविमानवासि देव देविओंकरके परिवत हुआहुआ सब ऋद्धिके साथ यावत् वादित्रके शब्द करके जहां पर सिद्धायतन है वहां पर आया, और पूर्वके दरवाजेसे प्रवेश किया । और जहां देवछंदा तथा प्रभुप्रतिमाथी वहां पर आया, भगवान्के दर्शन होनेके साथही दोनो हाथ जोड़कर प्रणामकिया, और मयूरपिच्छीसे प्रभुप्रतिमाका प्रमार्जन किया, इसके बाद सुगंधी जलसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003135
Book TitleDevdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
PublisherSha Sarupchand Dolatram Mansa
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Devdravya
File Size7 MB
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