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________________ पूज्य की पूजा का व्यतिक्रम न हो 'गांधी को गाली मत दो | गांधी ने मानव कल्याण के लिए बहुत काम किए हैं। यदि गांधी को छोटा करना है तो बड़ी रेखा खींचो । पहली रेखा अपने आप छोटी हो जाएगी।' अणुव्रत अनुशास्ता का यह विचार मानव-जाति की एकता की ओर इंगित करता है । आदम युग में मानव जाति एक थी । उसमें कोई भेदभाव नहीं था । जैसे-जैसे सत्ता, धन और बुद्धि का अहंकार बढ़ा, वैसे-वैसे मानव जाति विभक्त होती गई । ऊंच-नीच और छुआछूत का भेद आ गया । मानव-जाति के विभक्तीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई। सहस्राब्दियों तक यह क्रम चला और इसे धर्मग्रन्थों का समर्थन मिलने लगा | श्रमण परंपरा के आचार्यों ने इस समस्या को गंभीरता से अनुभव किया । एक है मनुष्य जाति __ढाई हजार वर्ष पहले महावीर ने कहा- 'एक्का मणुस्स जाई'- मनुष्य जाति एक है । उस समय भारतीय तत्व चिन्तन की दो धाराएं चल रही थीं- श्रमण धारा और ब्राह्मण धारा । ब्राह्मण धारा जन्मना जाति का समर्थन कर रही थी । महावीर और बुद्ध श्रमण परंपरा के प्रवचनकार थे। उन्होंने कर्मणा जाति के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया । श्वपाक पुत्र हरिकेश बल महावीर के शासन में दीक्षित थे । उनके एक घटनाप्रसंग को लेकर कहा गया— तपस्या की विशेषता है, जाति की कोई विशेषता नहीं है ।यदि कर्मणा जाति की अवधारणा चालू रहती तो न छुआछूत की भावना पनपती, न जातिवाद का उन्माद होता और न भारतीय समाज टूटता । उच्च या अभिजात वर्ग के अहंकार ने जन्मना जाति की अवधारणा को संपुष्ट किया । उसी की प्रतिक्रिया विशुद्ध भारतीय धरातल पर हो तो माना जा सकता है कि श्रमण परंपरा का जन्मना जाति के विरोध में उठा स्वर वर्तमान युग में फिर शक्तिशाली हो रहा है । यदि वह स्वर राजनीति की संप्रेरणा से संप्रेरित है तो उसकी प्रतिक्रिया सामयिक हो सकती है । मानवीय हित की शाश्वत धारा में उसका प्रवाह नहीं देखा जा सकता। चर्चा के दो ध्रुव वर्तमान चर्चा में महात्मा गांधी और डा. अम्बेडकर दो ध्रुव बन गए हैं, इन दोनों को राजनीति के क्षितिज पर देखा जा रहा है । मानव जाति की एकता का प्रश्न राजनीति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003134
Book TitleSamasya ko Dekhna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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