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________________ अहिंसा की मर्यादा शक्ति का उत्तर शक्ति, यह अहिंसा की पराजय नहीं, किन्तु उसके प्रति उत्पन्न भ्रम का निरसन है । अहिंसा के स्वरूप और मर्यादा को नहीं समझने के कारण अनेक लोग अहिंसा और अशक्ति या अहिंसा और कायरता को पर्यायवाची मानने लगे । अहिंसा को समर्थन देने वाले राष्ट्र ने शक्ति का उत्तर शक्ति से दिया तो उन लोगों का भ्रम निरस्त हो गया कि अहिंसा और अशक्ति या अहिंसा और कायरता पर्यायवाची नहीं हैं । कोई भी सरकार भले फिर वह भारत की हो या दुनिया के किसी अन्य राज्य की, अहिंसा को अपनी नीति का आधार मान सकती है, किन्तु उसे नियामक तत्त्व नहीं मान सकती । सिक्के के दो पहलू अहिंसा को नियामक तत्त्व मानने वाली संस्था अपरिग्रही होगी, इसलिए वह राज्य पर नियंत्रण बनाए नहीं रख सकती । कोई संस्था परिग्रही है और हिंसा में प्रवृत्त नहीं है, यह उतना ही असंभव है, जितनी यह है कि कोई व्यक्ति जीवनधारी है पर श्वास लेने की क्रिया से मुक्त है । परिग्रह और हिंसा एक सिक्के के दो पहलू हैं । राष्ट्र परिग्रह है । उसकी रक्षा अहिंसा से होगी, यह भ्रम है । अहिंसा से अपरिग्रह की रक्षा हो सकती है, परिग्रह की नहीं । इस सिद्धान्त के सन्दर्भ में कहा जा सकता है कि शक्ति का उत्तर, शक्ति की नीति अहिंसा की पराजय नहीं, किन्तु उसके प्रति उत्पन्न भ्रम का निरसन है । जीवन-रक्षा परिग्रह से सम्बद्ध है । अहिंसा से उसी गुण के रक्षण की आशा की जा सकती है, जिसका सम्बन्ध परिग्रह से नहीं है । शक्ति का गठबंधन केवल हिंसा से नहीं है। वह अहिंसा में भी होता है। अल्प हिंसा की शक्ति बड़ी हिंसा की शक्ति से परास्त होती है। इसलिए हिंसा के क्षेत्र में कहा जाता है, शक्ति का सफल प्रतिकार शक्ति ही है । अल्प अहिंसा की शक्ति बड़ी अहिंसा की शक्ति से परास्त नहीं, इसलिए अहिंसा के क्षेत्र में नहीं कहा जा सकता कि शक्ति का सफल प्रतिकार शक्ति ही है । अहिंसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003134
Book TitleSamasya ko Dekhna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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