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________________ अहिंसा की प्रतिकारात्मक शक्ति हम जितना जीवन के बारे में जानते हैं, उतना मृत्यु के बारे में नहीं जानते । जीवन की शक्ति से हम जितने परिचित हैं, उतने ही मृत्यु की शक्ति से अपरिचित हैं । मृत्यु हमारी शत्रु नहीं किन्तु बहुत बड़ी मित्र है । हमारे मन में भय होता है तब हम उसे शत्रु मानते हैं । हमारा मन अभय होता है, तो वह हमारी मित्र बन जाती है । जो मृत्युंजय होता है, वह अकुतोभय होता है—उसे कहीं से भी भय नहीं होता । शस्त्र भय का प्रतीक है आज भारत के लिए अभय की आराधना का बहुत बड़ा प्रसंग उपस्थित है । वह सैनिक शिक्षा को अनिवार्य करके भी उतना शक्तिशाली नहीं बन सकता जितना मृत्यु को मित्र बनाकर बन सकता है। भय को भय से परास्त करने में मनुष्य को अधिक विश्वास है । इसलिए शत्रु के प्रति शस्त्र का प्रयोग किया जाता है । शस्त्र भय का प्रतीक है । जिसका भय बहुत बड़ा होता है यानी जिसका शस्त्र बहुत शक्तिशाली होता है, वह उसे परास्त कर देता है | जिसका भय छोटा होता है यानी जिसका शस्त्र कम शक्तिशाली होता है । भय से भय या शस्त्र से शस्त्र को परास्त करने की शक्ति प्राप्त होने पर कुछ समय के लिए प्रत्येक युद्ध को टाला जा सकता है, किन्तु उसके परिणाम को नहीं टाला जा सकता | शस्त्र-निष्ठा के साथ जो अशान्ति, शिथिलता और आतंक उपजता है, वह समूचे राष्ट्र की पवित्र चेतना को लील जाता है । मनुष्य के मन में भय होता है, इसलिए सहज उसमें शस्त्रनिष्ठा होती है । अवसर पाकर वह और प्रबल बन जाती है। चीन ने आक्रमण किया और भारत की शस्त्र-निष्ठा प्रबल हो गई । आज उसके सामने अहिंसा की चर्चा करना अपराध जैसा हो गया पर वह हमारे लिए बहुत ही चिन्तनीय है । हम थोड़ी-सी जटिल स्थिति आने पर इस प्रकार अहिंसा को विसर्जित कर दें तो उसका दूरगामी परिणाम अच्छा नहीं होगा । अहिंसा का एक पक्ष अनुव्रत अनुशास्ता श्री तुलसी ने सशस्त्र प्रतिरोध को अस्वाभाविक नहीं कहा तो बहुत लोगों ने उसे पसंद किया। गुरुदेव ने अहिंसक - प्रतिरोध का विकल्प सुझाया तो बहुत लोग उससे सहमत नहीं हुए। इससे भारतीय आत्मा की नाड़ी परीक्षा हो गई । आज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003134
Book TitleSamasya ko Dekhna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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