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अनुभूति की तीव्रता के हेतु
अनुभूति की तीव्रता के तीन कारण हैं
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शब्द, अनुमान और प्रत्यक्षीकरण । शब्द से जानकारी होती है, वस्तु का ज्ञान होता है किन्तु शाब्दिक ज्ञान में अनुभूति नहीं होती, केवल ज्ञान होता है। शास्त्रों से जो सुनते हैं, वह शाब्दिक ज्ञान होता है, अनुभूति नहीं होती । इसलिए हजारों वर्षों से शास्त्र सुनकर भी तदनुरूप क्रिया नहीं होती । ज्ञान और अनुभूति दो चीजें हैं। चीनी को खाने के पहले उसका ज्ञान हो सकता है किन्तु खाये बिना अनुभूति नहीं होती है ।
दूसरा अनुमान है। धुआं देखकर अग्नि का अनुमान किया जा सकता है । शाब्दिक ज्ञान के साथ अनुमान जोड़ने से थोड़ी अनुभूति होती है, किन्तु अनुभूति की तीव्रता इसमें भी नहीं आ पाती ।
समस्या को देखना सीखें
अनुभूति की पूरी तीव्रता प्रत्यक्षीकरण में होती है। संयम के प्रति तीव्र अनुभूति नहीं है, क्योंकि उसका प्रत्यक्षीकरण नहीं है, केवल शाब्दिक और आनुमानिक ज्ञान है । अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य आदि अच्छा है। यह कैसे जाना ? आप कहेंगे कि शास्त्रों में लिखा है, महापुरुषों और भगवान् ने कहा है । यह केवल शास्त्रों में लिखा है। जीवन में अनुभव नहीं किया है । केवल पढ़कर या सुनकर आप भी उसे वैसा कह देते हैं ।
जीवन की विसंगति
एक व्यक्ति ससुराल से अपने घर आया आते ही आंगन में बैठकर रोने लगा । लोगों ने रोने का कारण पूछा तो जोर-जोर से रोते हुए कहा- . 'मेरी स्त्री विधवा हो गई ? उसने कहा- 'मेरी ससुराल वालों ने कहा है, वे क्या झूठ बोलते हैं ?'
आज स्थिति कुछ ऐसी ही है। दूसरों के माध्यम से किसी बात को स्थापित करना चाहते हैं, स्वयं के अनुभव से नहीं बता पाते । जीवन की कितनी विसंगति है ? संयम से तृप्ति मलती है । विकास होता है, ऐसा प्रत्यक्षीकरण का प्रमाण देने वाले कितने मिलते हैं ?
बहुत हैं भारवाही
अणुव्रत की चर्चा इस संदर्भ में करें। यदि त्याग की भावना से स्वर्ग-नरक को जोड़कर अणुव्रत को देखेंगे तो कम प्राप्त कर सकेंगे । अणुव्रत धर्म क्रांति का स्वर है किन्तु धर्म के साथ स्वयं की अनुभूति नहीं जोड़ेंगे तो धर्म के ऋणी बन सकते हैं परन्तु लाभ नहीं उठा सकेंगे। विचारों, धारणाओं और संस्कारों का आदमी भार ढोता है । किन्तु जीवन में उन्हें मूर्तरूप देने का, व्यवहार में उतारने का मौका नहीं देता जीवन में भारवाही बहुत बनते हैं किन्तु रस उठाने वाले नहीं होते हैं ।
लखपति, करोड़पति व्यक्तियों को देखता हूं और उनको कई बार कहता हूं कि तुम सबसे बड़े नौकर हो । दिनभर पैसे की नौकरी निभाना तुम्हारा काम है, अन्य कुछ
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