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________________ २० • किसने कहा मन चंचल है • इन्द्रिय-चेतना के प्रति जागरूकता - वृत्ति को देखना : इन्द्रियचेतना द्वारा होने वाली प्रत्येक प्रवृत्ति को देखना | ० प्रतिसंलीनता ० इन्द्रिय, शरीर, वाणी, मन और श्वास की सक्रियता प्राण के द्वारा । ● प्राण धारा को खींच लेने पर वे निष्क्रिय हो जाते हैं । • संकल्प-शक्ति के द्वारा o तन्मूत्ति ध्यान के द्वारा • एकाग्रता के द्वारा • संयम के अर्थ ० अस्वीकार -- इच्छा उत्पन्न हो उसका उत्तर न दें । • सतत संकल्प -- दृढ़ निश्चय करें। इतना दृढ़ निश्चय करें जिससे वातावरण या व्यक्ति आन्दोलित हो जाए । • दीर्घकालिक एकाग्रता । तन्मूत्ति ध्यान - लक्ष्य के रूप में स्वयं का परिणमन । ज्ञान-तन्तुओं को कृत्य का निर्देश । o ० ज्ञाता द्रष्टा का प्रयोग प्राण-शक्ति को खींचकर किसी एक बिंदु पर ले जाएं। • मन को भीतर ले जाएं । • अपने ज्ञाता द्रष्टा स्वरूप का अनुभव करें । • वृत्तियों को तटस्थभाव से देखते जाएं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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