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________________ मानसिक शक्ति का विकास और उपयोग श्रेष्ठ है । हमारे नाड़ी संस्थान के दो भाग हैं - एक है स्वतःचालित और दूसरा है - परतःचालित | स्वतःचालित नाड़ी संस्थान को हम कम काम में लेते हैं । परत:चालित नाड़ी- संस्थान का उपयोग अधिक करते हैं । इसलिए हमारी आन्तरिक शक्तियां जागृत नहीं होतीं । उन्हें जागृत होने का अवसर ही नहीं मिलता । हमारा यह सक्रिय नाड़ी संस्थान, जो मस्तिष्क और मेरुदंड प्रणाली के द्वारा शासित और संचालित है, जितना सक्रिय रहता है उतनी ही हमारी आन्तरिक शक्तियां दबी रह जाती हैं। जब हम उस नाड़ी संस्थान को अनुशासित करते हैं, उसकी सक्रियता को कम करते हैं तब आन्तरिक सक्रियता, अवचेतन मन की सक्रियता अपने-आप बढ़ जाती है । अवचेतन मन की सक्रियता बढ़ने का अर्थ है-शक्ति का जागरण । शक्तियों का स्रोत फूट पड़ता है, स्रोत खुल जाता है । शक्ति जागरण के लिए यह अत्यन्य अपेक्षित है कि स्थूल या चेतन मन की सक्रियता को, परतःचालित नाड़ी संस्थान की सक्रियता को कम कर आन्तरिक मन की सक्रियता को बढ़ाया जाए । तीसरा तथ्य है- प्राणधारा को निश्चित दिशा में बहाना । जब हम प्राणधारा को एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करते हैं तब एक बिन्दु ऐसा आता है जहां दिशा उद्घाटित हो जाती है । कोई साधक चाहता है कि वह अज्ञात देश को जाने । वह प्रयोग करता है । जिस दिशा में वह देश स्थित है, उस दिशा में वह अपनी प्राणधारा को प्रवाहित करना प्रारंभ कर देता है । पूरी तन्मयता और एकाग्रता के साथ वह ऐसा करता है । कुछ दिनों तक यह प्रयोग चलता है । संकल्प जब पूर्ण स्थिर हो जाता है तब एक दिन वह अज्ञात देश उसके लिए ज्ञात बन जाता है । अब वह अज्ञात स्थान साक्षात् हो जाता है 1 २३७ एक है ज्ञात स्थान को जानना । आपने अपना घर देखा है, जाना है । अब आप घर से हजारों मील दूर चले गए । को उस घर की दिशा में नियोजित करें। अपना घर प्रत्यक्षतः दीखने लग जाएगा। जाएगी। मन को एकाग्र कर प्राणधारा कुछ ही समय के पश्चात् आपको वहां की सारी हलचल प्रत्यक्ष हो Jain Education International जैसे अज्ञात देश को जाना जा सकता है वैसे ही अज्ञात काल को भी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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