SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चेतना का तीसरा आयाम हम मनुष्य हैं । मनुष्य हैं, इसलिए सौभाग्यशाली हैं। हमारे सौभाग्य का मूल आधार है-हमारी शक्तियों के विकास करने की क्षमता । इन्द्रिय चेतना, मानसिक चेतना और मनोतीत चेतना को विकसित करने की क्षमता हमारे भीतर है । इन्द्रिय चेतना प्राणी मात्र में होती है। अत्यन्त अविकसित प्राणियों स्थावर प्राणियों में भी वह होती है। दो, तीन और चार इन्द्रिय वाले प्राणियों में वह चेतना उपलब्ध है किन्तु मनुष्य में इस चेतना को विकसित करने की अपूर्व क्षमता और संभावनाएं हैं । ऐसी संभावना दूसरे प्राणियों को उपलब्ध नहीं है। मानसिक चेतना की भी यही स्थिति है। मन दूसरे प्राणियों में भी होता है, पशुओं में भी मन होता है, किन्तु मन के विकास की जो संभावनाएं मनुष्य को उपलब्ध हैं, वे पशुओं को उपलब्ध नहीं हैं। मनुष्य मन का बहुत विकास कर सकता है, मन की शक्ति को शिखर तक ले जा सकता मनुष्य की इन्द्रिय चेतना भी बहुत क्षमताशील है और मानसिक चेतना भी अद्भुत संभावनाओं से भरी पड़ी है। हम इन्द्रिय-चेतना के विकास की संभावना से परिचित हों तथा मानसिक चेतना के विकास की संभावनाओं से परिचित हों। ___मन बहुत शक्तिशाली है । उसमें अनन्त शक्तियां हैं । मन के द्वारा स्मृति होती है, कल्पना और चिन्तन होता है। हम स्मृति करते हैं, इसलिए मन की क्षमता को जानते हैं । हम कल्पना करते हैं, इसलिए मन की क्षमता से परिचित हैं । हम चिन्तन करते हैं, इसलिए मन की क्षमता से परिचित हैं। किन्तु मन की क्षमताएं इतनी ही नहीं हैं, और भी व्यापक हैं। किन्तु वे व्यापक क्षमताएं तब जानी जा सकती हैं और तब उनका विकास किया जा सकता है जब सबसे पहले हम ज्ञात क्षमताओं से कुछ दूर हट सकें। जब तक हम स्मृति, कल्पना और चिंतन के घेरे में रहेंगे तब तक मन की -संभावित क्षमताओं के बारे में हम जान नहीं पाएंगे। उनके प्रति विश्वास नहीं होगा और उन्हें उपलब्ध करने का कोई उपाय भी हस्तगत नहीं होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy