SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्यात्म की यात्रा १८१ का सारा अटपटा सा लग रहा है । साधना काल मस्ती का काल था । जो अनुभव हुआ, उसका धागा अभी नहीं टूटा है । उसका प्रसाद अभी भी मन Ant आह्लादित कर रहा है । वह प्रसाद-वर्षा अभी बन्द नहीं हुई है । क्या ही अच्छा हो यदि यह बनी रहे । ऐसा होता है । यह कोई अनहोनी बात नहीं है । आप केवल उपदेश की भाषा में विश्वास न करें। इससे मैं उपदेश की व्यर्थता नहीं बता रहा । वह भी अपने क्षेत्र में सार्थक है । क्योंकि सबसे पहले उपदेश ही काम देता है । आदमी सोता है । उसे जगाने के लिए एक संबोधन काम देता है । किन्तु जब वह जाग गया, जाग उठा तो फिर क्या सारे दिन संबोधन ही काम करता रहेगा ? घंटी बजती ही रहेगी ? ऐसा नहीं होता । सारे दिन संबोधन चले या घंटी बजती रहे तो आदमी बोर हो जाता है । छोटा बच्चा मां की अंगुली पकड़कर चलता है । यह बात समझ में आ सकती है । किन्तु यदि पचास वर्ष का आदमी भी दूसरे की अंगुली पकड़कर चले, यह बात समझ में नहीं आ सकती । बच्चा प्रारंभ में मां की अंगुली पकड़ सकता है, जागने के लिए संबोधन को भी सुन सकता है, घंटी भी सुन सकता हैं, किन्तु इसकी भी एक सीमा है । सीमा समाप्त होते ही यह सब समाप्त हो जाता है । फिर तो वे यात्रा शुरू उपदेश की भी एक सीमा है। जब तक व्यक्ति उस तथ्य को नहीं समझता तब तक उपदेश उपयोगी है । जब व्यक्ति उस बात को जान लेता है, समझ लेता है, फिर उपदेश का काम समाप्त हो जाता है । व्यक्ति अपने उपायों को काम में लें । उनके आधार पर अपनी करें, चलते रहें । मंजिल तक पहुंच जाएंगे। मैं समझता हूं कि जो लोग उपदेश की सीमा को ठीक जानते हैं और उपदेश की सीमा समाप्त होने पर उपायों की सीमा को भी जानते हैं, वे सही मार्ग को जान लेते हैं । उनकी अध्यात्म की यात्रा मंगलमय होती है । वह उन्हें मंजिल तक पहुंचा देती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy