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प्रवचन १ : संकलिका
• जब ये सब शान्त होते हैं तब अस्तित्व का दर्शन होता है। इनकी
ऊर्मियों के नीचे जो है वह है-अस्तित्व । • सम्यग्दर्शन के पांच फलित० शान्ति, मुक्ति की चेतना, अनासक्ति, अनुकम्पा, सत्य के प्रति
समर्पण । • आत्मा द्वारा आत्मा का दर्शन
० श्वास-स्पन्दन-आत्मा का एक हिस्सा। • शरीर-स्पन्दन-आत्मा का एक हिस्सा । • मन-स्पन्दन-आत्मा का एक हिस्सा । ० वेदना-स्पन्दन-आत्मा का एक हिस्सा । ० फिर आभामण्डल, फिर प्राण-दर्शन, फिर चैतन्य-दर्शन । • द्रष्टा कौन ? दृश्य कौन ? ० चेतना विभक्त इसलिए सूक्ष्म चेतना द्रष्टा और स्थूल चेतना दृश्य ।
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