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प्रवचन १५
| संकलिका
• तनाव मुक्ति शक्ति-जागरण का महत्त्वपूर्ण सूत्र । • तनाव आवेग पैदा करते हैं ।
कषाय से तनाव, तनाव से कषाय, उससे असन्तुलन । सुख क्या? दुःख क्या? ० जिसकी परिणति सुखद, वह है सुख ।
• जिसकी परिणति दुःखद, वह है दुःख ! • तनाव और आवेग एक हैं, दो नहीं। • जहां तनाव है वहां आवेग है। जहां आवेग है वहां तनाव है। • तनाव दुःखों का मूल ।। • रोग के मुख्य तीन कारण• शरीर • मन
० भोजन • पदार्थ-मुक्ति और पदार्थ-मुक्ति के परिणाम । • मानसिक संतुलन का अर्थ है-न राग और न द्वेष, केवल समभाव । • आधि और व्याधि का कारण है-मनुष्य की मूर्खता ।
केवल जानना नहीं, साक्षात् करना।
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