________________
१४४
किसने कहा मन चंचल है
शरीर की शक्ति-ये सारी शक्तियां कर्म शरीर से स्थूल शरीर तक तेजस शरीर के माध्यम से पहुंचती हैं । एक होती है भाषा और एक होता हैभाषायोग । एक होता है मन और एक होता है-मनयोग । एक होता है शरीर और एक होता है-शरीरयोग । योग तब बनता है जब तैजस शरीर अपने संवाहन का कार्य प्रारम्भ कर देता है। तेजस शरीर का योग मिलते ही भाषा वचनयोग बन जाती है। तेजस शरीर का योग मिलते ही मन मनयोग बन जाता है । तैजस शरीर का योग मिलते ही शरीर शरीरयोग बन जाता है । भाषा, मन और शरीर अचेतन है । वे जीव की शक्ति के साथ तैजस शरीर के माध्यम से जुड़कर चेतन हो जाते हैं।
भाषा अचेतन, भाषायोग चेतन । मन अचेतन, मनयोग चेतन । काया अचेतन, कायायोग चेतन ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org