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________________ होता है, वह कोई-न-कोई भाषा बोलता है। भाषा का जाति के साथ अविच्छिन्न सम्बन्ध है। Penka who declared language to be "the organic product of an organism subject to organic laws."2 आर्यों के मूल निवास के बारे में तीन अवधारणाएं उपलब्ध हैं। कुछ आर्यों को मध्य एशिया, कुछ योरोप एवं कुछ उन्हें भारतीय ही मानते हैं। मध्य एशिया मैक्समूलर ने भाषा साम्य के आधार पर आर्यों का मूल निवास-स्थान ईरान को सिद्ध किया है। उन्होंने ईरान में प्राप्त शिलालेखों पर उत्कीर्ण हिन्दु देवों के नामों के आधार पर उन्हें 'ईरान' का सिद्ध किया है। एडवर्ड मेयर ने आर्यों को पामीर देश का निवासी स्वीकार किया है किन्तु पी. गाइल्स ने इस मत को अस्वीकार किया है। ऐसे ही अन्य कई विद्वान हैं जो आर्यों को मध्य एशिया का स्वीकार करते हैं। योरोप पी. गाइल्स ने हंगरी को आर्यों का मूल स्थान माना है। जर्मन विद्वान पेंका ने आर्यों का उद्गम स्थान जर्मनी के कुछ भाग को एवं स्कैडिनेविया को माना है। भारतीय भारतीय सिद्धान्त के प्रतिपादक इतिहासकार भारत को ही आर्यों का मूल देश मानते हैं। डी. ए. त्रिवेदी, एल. डी. कल्ला आदि इस सिद्धान्त के पुरोधा माने जाते हैं। उन्होंने अपनी अवधारणा को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि वेदों में कहीं भी संकेत प्राप्त नहीं होता कि आर्य भारत से बाहर के थे अथवा वे कहीं दूसरे स्थान से भारत में आये थे। __मेगस्थनीज ने लिखा है कि भारत विशाल देश है। यहां का एक भी व्यक्ति मूलतः विदेशी वंशोत्पन्न नहीं है। यदि आर्य बाहर से आये होते तो मेगस्थनीज अवश्य ही इसका कहीं-न-कहीं उल्लेख करते। जैन आगमों में तथा अन्य जैन साहित्य में आर्य के संदर्भ में विचार हुआ है। क्षेत्रार्य के वर्णन के प्रसंग में वहां साढ़े पच्चीस देशों में उत्पन्न मनुष्यों को आर्य कहा है। जिन साढ़े पच्चीस स्थानों का आर्य के प्रसंग में प्रज्ञापना में उल्लेख १६० • व्रात्य दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003131
Book TitleVratya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages262
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size10 MB
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