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________________ ईश्वरप्रणिधान क्रियायोग सम्पूर्ण कर्मों का परमगुरु ईश्वर में अर्पण अथवा कर्मफलाकांक्षा का त्याग ईश्वरप्रणिधान कहलाता है। 'ईश्वरप्रणिधानं सर्वक्रियाणां परमगुरावर्पणं तत्फलसंन्यासो वा' पातंजल योगसूत्र के १/२३ सूत्र में भी समाधि लाभ के लिए ईश्वरप्रणिधान का निर्देश दिया गया है। उस सूत्र में प्रणिधान का अर्थ भक्ति विशेष किया है 'प्रणिधानाद् भक्तिविशेषाद् ।' अर्थात् ईश्वर के प्रति विशेष भक्ति रखने से समाधि की प्राप्ति हो जाती है। सारे संदर्भो में आगत प्रणिधान शब्द पर विमर्श करने पर ईश्वर प्रणिधान के तीन अर्थ हो जाते हैं १. ईश्वर के प्रति विशेष भक्ति। २. सम्पूर्ण कायिक, वाचिक, मानसिक क्रिया को परमात्मा में अर्पण कर देना। ३. कर्मफल की आकांक्षा का त्याग। क्रियायोग के संदर्भ में दो एवं तीन नम्बर के अर्थों का उल्लेख ईश्वर प्रणिधान अर्थ में हुआ है। सम्पूर्ण क्रिया का ईश्वर में अर्पण अर्थात् लौकिक, वैदिक एवं साधारण सभी क्रियाओं का अन्तर्यामी ईश्वर में अर्पण कर देना ईश्वर-प्रणिधान है क्योंकि तब तक किसी क्रिया के प्रति व्यक्ति का कर्त्ताभाव बना रहता है उसके अहंकार का त्याग नहीं हो सकता। 'मैं करता हूं' ऐसा मानसिक सम्प्रत्यय बना रहता है और जब तक कर्त्ताभाव का विसर्जन नहीं होता तब तक साधना की सर्वोच्च अवस्था प्राप्त नहीं हो सकती। जब साधक के मन में यह भाव पैदा होता है कि सब कुछ करवाने वाला परमेश्वर है मैं तो निमित्त मात्र हूं तब वह सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर देता है। गीता में कहा भी है 'कामतोऽकामतो वापि यत् करोमि शुभाशुभम्। तत्सर्वं त्वयि संन्यस्तं त्वत्प्रयुक्तः करोम्यहम् ॥' फलेच्छा से या निष्काम भाव से जो शुभाशुभ कर्म का मैं अनुष्ठान करता हूं, वह सब आप में (ईश्वर) समर्पित करता हूं क्योंकि ये सारे कार्य मैं आपके (ईश्वर) द्वारा प्रेरित होकर ही करता हूं। अर्जुन को उपदेश देते समय श्रीकृष्ण भी समर्पण की बात कहते हैं यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्। यत्तपस्यसि कौन्तेय! तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥ १७ - व्रात्य दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003131
Book TitleVratya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages262
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size10 MB
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