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अवसर प्रदान करता रहा है और करता रहे, यही आशीर्वाद चाहती हैं।
श्रद्धेय युवाचार्यश्री महाश्रमणजी की प्रेरक मौन-मुखर प्रेरणा मुझे सदैव अध्यात्म पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित करती रही है। __श्रद्धेया साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी का समय-समय पर प्राप्त वात्सल्ययुक्त प्रेरणा पाथेय मेरे लेखन को प्रोत्साहित करने में श्रेयोभागी बना है। मैं इस अध्यात्म चतुष्टयी के प्रति अपनी अनन्त-अनन्त श्रद्धा के सुमन समर्पित कर रही हूं। ___साध्वी अणिमाश्रीजी द्वारा प्राप्त प्रेरणा मुझे सदैव विकास के मार्ग पर अग्रसर करती रही है। इन लेखों की प्रतिलिपि करने में समणी सुधाप्रज्ञाजी का स्मरणीय सहयोग प्राप्त हुआ।
समणी नियोजिकाजी एवं समणीवृन्द द्वारा प्राप्त सहयोग के लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं।
भारतीय विद्या के अग्रणी, विश्रुत विद्वान्, प्रो. दयानन्द भार्गव का प्रस्तुत पुस्तक में संकलित लेखों के निरीक्षण, परीक्षण एवं संशोधन में अमूल्य योगदान रहा है, मैं उनकी हृदय से आभारी हूं।
प्रस्तुत कार्य के संपादन में जिनका भी प्रत्यक्ष एवं परोक्ष सहकार प्राप्त हुआ है उन सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं। मैं निरन्तर शील और श्रुत के निर्झर में अभिस्नात होती रहूं, इसी मंगलकामना के साथ जैन विश्व भारती
समणी मंगलप्रज्ञा लाडनूं १३/१२/१६६६
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