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१०. मनोविज्ञान और कर्म
व्यक्तित्व और कर्म
व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी के 'पर्सनैलिटी' शब्द का पर्याय है। पर्सनैलिटी शब्द ‘पर्सेना' से लिया गया है। पर्योना का तात्पर्य वेष वदलने के लिए प्रयोग किए गए आवरण से था। नाटक के पात्र इसको पहन कर तरह-तरह के रूप बदला करते थे। इस प्रकार प्रारम्भ में पीना शब्द का अर्थ बाह्य आवरण के रूप में किया जाता था, परन्तु रोमन-काल में विशेष गुण युक्त पात्र को ही पर्सना कहा जाने लगा। यह दूसरा अर्थ ही आधुनिक मनोविज्ञान में पर्सनैलिटी शब्द से लिया जाता है। जन-साधारण में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप से लगाया जाता है परन्तु मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप एवं गुणों की समष्टि से है। मनोविज्ञान में व्यक्तित्व न तो बाह्य आवरण ही है और न कोरा आन्तरिक तत्त्व है बल्कि दोनों ही है। व्यक्तित्व कोई स्थिर अवस्था न होकर एक गतिशील समष्टि है जो कि परिवेश के प्रभाव से बदलती रहती है। व्यक्तित्व व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाओं, गतिविधियों सभी में झलकता है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र में व्यक्तित्व की अनेक परिभाषाएं उपलब्ध होती हैं। प्रस्तुत प्रसंग में मनोविज्ञान जगत् में मान्य व्यक्तित्व की जैव भौतिक परिभाषा पर अनुचिन्तन किया जा रहा है। ___व्यक्तित्व की जैव भौतिक परिभाषाएं सम्भवतः सबसे प्राचीन है। इन परिभाषाओं में सामाजिक गुणों से अधिक जैविक गुणों पर बल दिया जाता है। 'गेलन' ने चित्तप्रकृति के जो चार प्रकार बताये हैं, वे शारीरिक स्रावों से संबंधित हैं। इन शारीरिक स्रावों के आधार पर गेलन ने चार प्रकार की चित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों का उल्लेख किया है
व्रात्य दर्शन . ६३
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