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________________ दूंगा। जब उसका विवाह होगा, तब उसका पति ही राजा बन जाएगा। निर्णय ले लिया-कन्या को राजगद्दी पर बैठाना है। कन्या ने पुरुष वेष में रहना शुरू कर दिया। प्राचीन काल में रानियां भी पुरुष वेष में रहती थीं, राज्य कार्य भी चलाती थीं। एक दिन राजा कहीं बाहर गया हुआ था, अकस्मात् महल में आ पहुंचा। उसने देखा-महारानी एक पुरुष का आलिंगन किये हुए लेटी है। देखते ही राजा तिलमिला उठा। तत्काल तलवार हाथ में निकाल ली। उसी समय मुनि का आशीर्वाद याद आया-क्रोध में कोई काम मत करना। तलवार म्यान में चली गई। राजा आगे बढ़ा, पर्यंक के निकट आया। राजा यह देख अवाक् रह गया-पुरुष वेशधारी बेटी और मां निद्रा में लीन हैं। राजा का व्यवहार बदल गया। उसका क्रोध शान्त हो गया। यदि वह क्रोध में काम कर लेता तो अनर्थ हो जाता। जो आदमी जागरूक हो जाता है, उसका व्यवहार बदलता है चाहे कितनी ही बड़ी घटना सामने आए। ऐसा लगे-कोई पहाड़ टूट रहा है, अन्याय हो रहा है तो भी तत्काल वह कोई कार्य नहीं करेगा। वह बड़े धैर्य के साथ कार्य करेगा। यदि इस प्रकार का व्यवहार हो जाए तो परिवार में होने वाले सारे झगड़े समाप्त हो जाएं। व्यक्ति ने कुछ देखा, पूरा समझा नहीं और कोई कदम उठा लिया। ऐसा करने के बाद उसे यह भी कहना पड़ता है-मैंने जल्दबाजी में अमुक काम कर लिया। न जाने कितने लोग ऐसे हैं, जो कहते हैं- 'भई ! भूल हो गई, जल्दबाजी में ऐसा हो गया। जागरूक व्यक्ति ऐसा कभी नहीं करता। उसका व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है। आहार-शुद्धि व्यवहार की एक कसौटी है-आहार-शुद्धि। एक जागरूक व्यक्ति के खान-पान में सहज सभ्यता आ जाएगी। आजकल भोज के अनेक तरीके प्रचलित हैं। एक विधि है-सब प्रकार के खाद्य-पदार्थ टेबल पर सजे हुए हैं, जो चाहो, उठा लो, खा लो। जो जागरूक नहीं होता है. वह किसी बढ़िया चीज को देखता है और उसी पर अटक जाता है। एक भाई से सहज ही मैंने पूछ लिया-'तुम आज भोज में गए थे ? 'हां, महाराज ! गया था।' ‘ज्यादा तो नहीं खाया ? जागरूकता और जीवन व्यवहार / ७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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