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वनस्पति-सबको खराब कर रहा है। पता लग जाएगा कि भीतर में कैसा है ? एक व्यक्ति प्रातःकाल घूमता है, उसे जहां कहीं कुछ पड़ा दिखाई देता है, वह उसे उठाकर मुख्य मार्ग से दूर रख देता है। इससे पता चलता है कि व्यक्ति के भीतर में कैसी चेतना है। ____ मुख्य मार्ग पर एक कूड़ादानी रखी हुई है। केला खाएं तो छिलका उसमें डाल दें। कोई भी डालने की चीज हो तो उसे बाहर नहीं, उसी कूड़ादानी में डालना है। एक व्यक्ति इस नियम की कोई परवाह नहीं करता। चाहे पैर फिसल जाए, गिर जाए, किसी की हड्डी टूट जाए, कोई चिन्ता नहीं। गन्दगी हो तो भले हो जाए, इस व्यवहार से पता चलता है कि भीतर में कैसी जागरूकता है?
संवादिता भीतर और बाहर की ध्यान का परिणाम है जागरूकता। छोटी से छोटी घटना के प्रति, छोटी से छोटी वस्तु के प्रति और छोटे से छोटे व्यक्ति के प्रति जागरूकता आ जाती है तो समझना चाहिए-ध्यान ने बहुत अच्छा काम किया है। यह जागरूकता न आए उतना ही प्रमाद बना रहे, जितना ध्यान करने से पहले था तो समझना चाहिए-दवा ली तो थी पर लगी नहीं, ध्यान किया तो था पर परिणाम नहीं आया।
ध्यान से अन्तरंग बदलना चाहिए, साथ-साथ इसका पूरक वाक्य होना चाहिए-ध्यान से व्यवहार भी बदलना चाहिए। ध्यान से भीतर में बदलेगा और बाहर से नहीं बदलेगा, यह बात सम्भव नहीं है। जो भीतर से बदलेगा, वह बाहर से भी बदलेगा। बदलाव दोनों दिशाओं में आएगा। बाहर से कोई बदलता है तो यह जरूरी नहीं है कि भीतर से भी बदल जाए। बाहर तो छलना हो सकती है। एक आदमी बाहर से बदल गया, बाहर बदलाव दिखाता है किन्तु हो सकता है कि भीतर प्रवंचना हो। जो भीतर में भी बदल जाएगा, उसके लिए यह निश्चित है कि वह बाहर में भी बदलेगा। भीतर और बाहर की संवादिता है, उसमें कोई विरोध नहीं
है।
७४ / विचार को बदलना सीखें
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