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________________ और इन्द्रियों का आकर्षण उनके प्रति है। जहां इतने सारे आकर्षण हों, वहां अपने आपको देखने की बात कहां से आयेगी? हमें यदि धर्म को समझना है और वास्तव में धर्म करना है तो सबसे पहले इन्द्रियों को बन्द करना सीखना होगा। आंखें बन्द, कान बन्द और मंह बन्द-ये सब बन्द हो जाएंगे तो फिर नाटक या टी. वी. देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। नाटक देखने की जरूरत उन्हें पड़ती है, जो अन्तर्दर्शन में नहीं जाते। यदि आप केवल आधा घण्टा के लिए सारी इन्द्रियों को विश्राम देकर बिल्कुल स्थिर और एकाग्र होकर अपने भीतर झांकना शुरू कर दें और इसका नियमित अभ्यास करें तो एक दिन आपको कोई ऐसी झलक मिल जायेगी कि आप रोमांचित हो जाएंगे। आप देखेंगे-भीतर का जगत् कितना विशाल है, कितना आनंदमय और प्रकाशमय है। वहां कोई अंधकार नहीं है, कोई समस्या नहीं है। आपको एक दिव्य प्रकाश मिलेगा और उस अंतः आलोक में दूरदर्शन का आकर्षण फीका लगने लगेगा। ७२ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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