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________________ पैदा होगी। किसी को देखा तो राग जागेगा, किसी को देखा तो द्वेष जागेगा। किसी को देखा तो घृणा जागेगी, किसी को देखा तो वैमनस्य जागेगा। ये सारी वृत्तियां जागती रहेंगी। वह अपने को देख नहीं सकता, जान-पहचान नहीं सकता। बाह्य दर्शन का परिणाम जो आदमी अपना अन्तर्दर्शन नहीं करता, केवल दूरदर्शन में ही अटक जाता है, उलझ जाता है, अपने आपको नहीं निहारता, नहीं देखता, वह उस बुढ़िया की ही तरह भ्रम में पड़ जाता है और दर्पण में अपने प्रतिबिम्ब को देखकर यह उपालंभ दे देता है- 'मूर्ख ! यदि स्त्री को ही लाना था तो बुढ़िया को क्यों लाया ? जिन व्यक्तियों ने अपने आपको देखने का प्रयत्न नहीं किया, उनकी यही स्थिति बनती है। इससे अहंकार और ममकार-ये दो वृत्तियां पनप जाती हैं। लोग कहते हैं-वह सत्ता में आया तो आंखें ऊपर चढ़ गयीं। नीचे देखता ही नहीं। धन आ गया तो पांव धरती से ऊपर उठ गये। थोड़ा ज्यादा पढ़-लिख गया तो इतना अहंकार जाग गया कि अपने से आगे दूसरों को कुछ समझता ही नहीं। यह स्वाभाविक बात है। बाहरी जगत् में यह प्रतिक्रिया हो तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है ? यह तो बाहर को देखने का परिणाम है। तब मिटेगी पीलिया की बीमारी बाहरी जगत् को देखने का एक परिणाम है अहंकार। मैं और मेरा यह ममकार है। मेरा शरीर, मेरा घर, मेरा परिवार, मेरा धन-सब मेरा ही मेरा। अहं और मम-इन दो काराओं में आदमी बन्दी बन जाता है। सचमुच इन दो वृत्तियों ने हमारे दृष्टिकोण को मिथ्या बनाया है। जिसका दृष्टिकोण अहंकार और ममकार से भरा हुआ है, उसका दृष्टिकोण मिथ्या बन जायेगा। उसके ऐसा पीला चश्मा लगेगा, जिससे सारी सृष्टि पीली ही पीली दिखाई देगी। दूसरा कोई रंग दिखाई ही नहीं देगा। यह पीलिया की बीमारी तब तक नहीं मिट सकती, जब तक कि वह अर्न्तदर्शन की स्थिति में न चला जाये, अपने आपको देखने का प्रयत्न न करे। 'मैं कौन हूं ? यह प्रेरणा न जागे। बहुत कम लोग सोचते हैं कि मैं कौन हूं। किसी से पूछा जाये-तुम ७० / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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