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बढ़ता आकर्षण
सारे कर्तव्यों में इतना अन्तर आया है, इतना आकर्षण पैदा हुआ है कि सब लोग एक धुन में लग जाते हैं । ऐसी घटनाएं भी हमने सुनी हैं, पढ़ी हैं कि घर के सारे लोग टी. वी. देखने बैठ गये और चोरों के लिए बहुत सुविधा हो गयी। रात को नहीं, दिन में ही चोरी करने की सुविधा हो गयी । पीछे से कुछ भी किया जा सकता है। टी. वी. पर आंखें ऐसी गड़ा जाती हैं कि आसपास का कुछ भी भान नहीं रहता । यह पता ही नहीं चलता कि आसपास कौन क्या कर रहा है ? कहीं क्रिकेट का मैच चल रहा है तो फिर कहना ही क्या ? छात्र खाना-पीना भी भूल जाते हैं । यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि टी. वी. ने दायित्वबोध और कर्तव्यबोध की भावना को कम किया है । भले ही आज इसका पता न चले, किन्तु आने वाली पीढ़ी निश्चय ही दायित्वबोध से शून्य बन जायेगी, उसका कर्तव्यबोध समाप्त हो जायेगा ।
चश्में क्यों बिके ?
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कुछ वर्ष पूर्व ब्रिटेन में बच्चों के चश्में बहुत बिके । सर्वे किया गया - इसका कारण क्या है ? एक ही वर्ष में आश्चर्यजनक रूप से इतने चश्में कैसे बिके ? सर्वे का निष्कर्ष यह आया - टी. वी. के कारण ऐसा हुआ है । टी.वी. को बहुत निकटता से देखा जाता है। आंखों को खराब करने का एक सफल प्रयोग है टी. वी . । आंखें खराब करनी है तो इससे बढ़िया और कोई उपाय नहीं है । निकट से टी. वी. देखने वाले नहीं जानते कि इससे उनकी आंखों पर, उनके स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ रहा है । उसमें से निकलने वाली किरणें उसे देखने वालों तक ही नहीं, कमरे के आसपास तक फैल जाती हैं और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं ।
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अतीत की ओर लौटें
कुछ बातें टेलीविजन के पक्ष में हैं तो कुछ प्रतिपक्ष में हैं । पक्ष और प्रतिपक्षदोनों हैं। प्रश्न है - क्या अतीत की ओर पुनः लौटना संभव है ? यह असंभव नहीं है। आदमी को एक दिन पीछे लौटना ही पड़ता है। क्या किसी ने सोचा था कि पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी के बीच की दीवार टूट
६६ / विचार को बदलना सीखें
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