________________
करता। बहुत सारी चीजें एक साथ खा लेता हूं, मैं उसकी बात सुनकर हैरान हो गया। इतना पढ़ा-लिखा और उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति, विज्ञान का प्रोफेसर ऐसी बात कर रहा है, बिल्कुल बच्चों जैसी। मैंने कहा-'दूध
और अचार तो सर्वथा विरुद्ध आहार हैं, इन्हें एक साथ खाते हो ? उसने कहा-'हां, मैं तो इन्हें एक साथ लेता हूं।' मैंने सोचा-विज्ञान के बारे में जानने वाला, परमाणु की संरचना के बारे में जानने वाला अपने बारे में कुछ नहीं जानता कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। यह बड़ी विचित्र बात है।
आहार के अविवेक से शरीर, मन और भावना-तीनों समान रूप से प्रभावित होते हैं।
श्रम
स्वास्थ्य का पांचवां बिन्दु है-श्रम । जो व्यक्ति उचित श्रम नहीं करता, वह कभी स्वस्थ नहीं रह सकता। श्रम न करना आज बड़प्पन की निशानी मान ली गयी है। बड़ा आदमी श्रम क्या करेगा ? क्यों करेगा ? झाडू लगाना, पानी भरना-ये सब तो छोटे आदमियों के काम हैं। बड़ा आदमी कभी परिस्थितिवश झाडू लगायेगा तो भी छिपकर लगायेगा। वह सोचेगा कि किसी ने झाडू लगाते देख लिया तो पोजीशन खराब हो जायेगी। ऐसी सोच इसलिए बनी कि श्रम को बहुत हल्का, छोटा और निकृष्ट काम मान लिया गया। एक समय था, महिलाएं अपने घर में ही स्वयं आटा पीसा करती थीं, कुएं से पानी भर कर लाती थीं, घर की पूरी सफाई करती थीं। उन्हें इस काम में बहत श्रम करना पड़ता था किन्तु इसका परिणाम यह होता कि घर में कभी डॉक्टर बलाने की जरूरत नहीं पड़ती । वह सब कुछ छूट गया। इसका परिणाम यह है कि आज हर परिवार का अपना एक फैमिली डॉक्टर है। हर महीने एक निश्चित रकम दवा और डॉक्टर के हवाले हो रही है।
आसन, व्यायाम और प्राणायाम हमारी प्रत्येक कोशिका को रक्त की जरूरत होती है और रक्त श्रम के बिना पहुंचता नहीं। क्या आप कभी आसन करते हैं ? व्यायाम
६२ / विचार को बदलना सीखें
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org