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बीरबल बोला- 'जिसे आप जानते नहीं, पहचानते नहीं, जिससे कभी कोई काम नहीं पड़ा, जिसका कोई पता-ठिकाना आपको मालूम नहीं, उसे एक लाख की इतनी बड़ी रकम उधार दे देना मूर्खता नहीं है तो और क्या है ? खजाने का इतना बड़ा दुरुपयोग आप कर रहे हैं । स्वयं के प्रति भी जागरूक नहीं हैं । ऐसी स्थिति में आप मूर्ख ही कहे जाएंगे ।'
बादशाह को अपनी भूल का अहसास हुआ । सहसा उनके चेहरे पर चमक आ गई, कहा-'बीरबल ! अगर उस आदमी ने वायदे के अनुसार रकम ठीक समय पर लौटा दी तो ?
बीरबल बोला- 'हुजूर ! तब आपका नाम इस सूची से काट दूंगा और आपके स्थान पर उसका नाम लिख दूंगा ।'
समाज और व्यक्ति
जो व्यक्ति समस्या के प्रति, वर्तमान के प्रति जागरूक नहीं होता, वही मूर्ख कहा जायेगा । सामाजिक और पारिवारिक जीवन में सबसे पहली आवश्यकता है जागरूकता की । आप सामाजिक जीवन जीते हैं, किन्तु व्यक्तिगत जीवन भी उससे अलग नहीं है । सामाजिक जीवन के दो पहलू हैं - समाज का जीवन और व्यक्ति का जीवन । व्यक्ति का जीवन समाज के जीवन से अलग नहीं होता और समाज का जीवन भी व्यक्ति के जीवन से अलग नहीं होता। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक को सामने रखें तो दूसरा गौण बन जायेगा। दूसरे को सामने रखें तो पहला गौण बन जायेगा । किन्तु दोनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता । सामाजिक जीवन जीना है और साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन भी जीना है ।
पहला सुख निरोगी काया
जीवन का सबसे बड़ा सूत्र, जिसके प्रति हमारी जागरूकता बढ़े, वह है स्वास्थ्य। स्थानांगसूत्र में भगवान् महावीर ने दस प्रकार के सुख बतलाए हैं। उनमें पहला सुख है आरोग्य । प्रचलित कहावत है- 'पहला सुख निरोगी काया ।' शरीर का निरोग होना पहला सुख है । यदि
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धर्म और स्वास्थ्य / ५५
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