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धर्म और स्वास्थ्य
ध्यान का प्रयोग करना एक प्रवृत्ति है, किन्तु प्रयोजन उससे भिन्न है और वह है जागरूकता का विकास। जीवन के प्रति वर्तमान समस्याओं के प्रति जागरूकता आए । जो सोया हुआ जीवन है, मूर्च्छा का जीवन है, प्रमाद और आलस्य का जीवन है, वह टूटे और व्यक्ति सतत जागरूक बन जाये । हर वस्तु के प्रति जागरूकता बढ़े, जीवन का दृष्टिकोण बदल जाये । सामान्य व्यक्ति जिस दृष्टि से देखता है, उसी दृष्टि से न देखे, देखने का कोण बदल जाये । जो भी करे, करने से पहले जागरूकता बरतें और फिर प्रवृत्ति करें ।
मूर्खों की सूची में
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बादशाह के पास एक सौदागर आया । उसने एक लाख रुपये मांगे । विश्वास दिलाया - इससे मैं अपना व्यापार बढ़ाऊंगा और समय पर रुपये वापस कर दूंगा । बादशाह ने उसकी बात स्वीकार कर ली, लाख रुपये उधार दे दिये कुछ दिन बीत गये । एक दिन बादशाह ने बीरबल से कहा- 'मेरे मन में एक कल्पना आई है, वह साकार कैसे हो ? बीरबल ने कहा- 'आप बताएं, उसे साकार मैं करूंगा।' बादशाह ने कहा- 'मेरे राज्य में मूर्ख कितने हैं ?, इसकी एक सूची बनाओ।' बीरबल बोला- 'बना दूंगा।' दूसरे दिन बीरबल मूर्खों की सूची लेकर बादशाह के पास हाजिर हो गया । बादशाह ने सूची देखी । मूर्खों में पहला नाम अपना देखकर बादशाह अवाक् रह गया । बादशाह ने प्रश्नायित आंखों से बीरबल की ओर देखा । बीरबल बोला- 'जहांपनाह ! यह सूची मूर्खों की ही है । आप चौंकें नहीं । इस राज्य में सबसे बड़े मूर्ख आप ही हैं ।' बादशाह ने पूछा - 'कैसे ?
५४ / विचार को बदलना सीखें
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