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________________ रोगी आते, उन्हें दवाइयां देता। उसने एक नया-नया नौकर रखा पर वह समझदार नहीं था। शाम का समय। वैद्य बैठा जम्हाइयां ले रहा था। रात आ गई। वैद्य बोला--'भाई ! आज का दिन तो अच्छा नहीं रहा। नौ बज गये। अब कौन आयेगा ? नौकर बोला-'आप लेट जाएं, मैंने दरवाजा तो पहले ही बन्द कर रखा है, आयेगा कौन ? शीत-युद्ध विश्वशान्ति के लिए दरवाजे तो पहले ही बन्द कर रखे हैं। आज कितने युद्ध हो रहे हैं ? वे युद्ध भावनात्मक स्तर पर लड़े जा रहे हैं। इसे एक नाम दिया गया ‘शीतयुद्ध।' प्रत्यक्ष जो लड़ा जाता है, वह गर्मागर्म होता है। अप्रत्यक्ष रूप से लड़े जा रहे युद्ध को शीतयुद्ध कहा जाता है। सारी तैयारी भावनात्मक स्तर पर हो रही है। एक राष्ट्र अणुअस्त्रों का अंबार लगा रहा है, दूसरा राष्ट्र उससे ज्यादा मारक और घातक अस्त्रों के निर्माण की बात सोच रहा है, यह क्यों हो रहा है ? भय के कारण हो रहा है। एक-दूसरे से सब डरे हुए हैं। एक डरता है-दूसरा कहीं हमें दबोच न ले। दूसरा डरता है कि तीसरा हमें हड़प न ले। जंगल जा रहे आदमी से उसकी मां ने कहा- 'बेटा ! और किसी से नहीं, शेर से डरना। शेर की मां ने अपने बच्चे से कहा- 'बेटा ! तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है, हाथी से भी नहीं, बस तू काले सिर वाले आदमी से डरना। एक दिन आदमी गया जंगल में। सामने शेर आता दिखाई दिया। शेर डरा और आदमी भी डरा। अन्ततः दोनों मिले। शेर ने पूछा-'तू डरकर भागा क्यों ? आदमी ने भी पूछा-डरे तो तुम भी थे। मेरी मां ने कहा था कि शेर से डरना। शेर ने कहा- 'मेरी मां ने भी कहा था कि काले सिर वाले से डरना।' भावना के स्तर पर भय दोनों ओर से है। शेर आदमी से डर रहा है और आदमी शेर से डर रहा है। हम भावनात्मक स्तर पर एक-दूसरे से घबरा रहे हैं, डर रहे हैं। इसीलिए सारे शस्त्रों का विकास हुआ है। जिस आदमी ने लाठी बनाई या प्रस्तर युग में पत्थर का कोई अस्त्र बनाया, उसने डर कर बनाया। सारे धर्म और शान्ति / ५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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