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विश्वास जब पूज्य गुरुला रही थी, उसका अलग गये। उन्ह अगर शि
समाज और परिवार के स्तर पर यह काम किया जा सकता है। हमारा विश्वास है-यदि यह प्रयोग शुरू हो जाए तो इसका अनुसरण भी बहुत होगा। जब पूज्य गुरुदेव ने 'नया मोड़' का संदेश दिया था, उस समय यह बात बहुत कठिन लग रही थी, किन्तु समाज ने अन्ततः उसे स्वीकारा । अपने आप बिना किसी प्रेरणा के उसका अनुसरण होना शुरू हो गया। दूसरे समाज के लोग भी उसका अनुसरण करने लग गये। उन्होंने यह कहते हुए ‘नया मोड़' को अपनाया- 'यह तो बड़ी अच्छी बात है।' अगर शिक्षा के क्षेत्र में आज जीवन विज्ञान की इस बात को गंभीरता से लिया जाता है, प्रयोग शुरू किये जाते है तो एक दशक के भीतर ही यह इतना व्यापक बनेगा कि बिना किसी प्रेरणा के लोग इसका अनुकरण करेंगे।
धर्म और शिक्षा / ४३
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