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धर्म और शिक्षा
चार प्रकार के कलश होते हैं
१. अमृत का कलश और जहर का ढक्कन। २. जहर का कलश और अमृत का ढक्कन । ३. अमृत का कलश और अमृत का ढक्कन । ४. जहर का कलश और जहर का ढक्कन। आदमी भी चार प्रकार के होते हैं१. भीतर में बहुत अच्छा, किन्तु व्यवहार अच्छा नहीं। २. भीतर में बहुत बुरा, किन्तु व्यवहार ऐसे प्रदर्शित करता है, जैसे ____ अमृतमय हो। ३. भीतर में भी अच्छा और व्यवहार में भी अच्छा। ४. भीतर में भी अच्छा नहीं और व्यवहार में भी अच्छा नहीं।
समग्र है तीसरा विकल्प इन चारों में जिसे समग्र कहा जा सके, वह है तीसरा विकल्प-भीतर भी अमृत और बाहर भी अमृत। यह है समग्रता। जिसके भीतर में जहर और बाहर भी.जहर है, ऐसा व्यक्ति किसी काम का नहीं है। भीतर अमृत है, किन्तु ढक्कन जहर का है, तो वह भी एकांगी है, हमारे काम का नहीं होता। समग्रता की दृष्टि से विचार करें तो भीतर और बाहर-दोनों ओर अमृत मिले तो वह हमारे लिए उपादेय हो सकता है। आज समाज में ऐसे व्यक्तियों के निर्माण की जरूरत है, जो तीसरे कलश की भांति अमृतमय हों और ढक्कन भी अमृत का हो।
व्यक्तित्व का निर्माण शिक्षा के द्वारा होता है, मस्तिष्कीय प्रशिक्षण के द्वारा होता है। हर व्यक्ति में क्षमताएं होती हैं, अच्छाइयां होती हैं।
३४ / विचार को बदलना सीखें
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