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चल सकता। विचार भी केवल छिछले स्तर पर नहीं चल सकता। उस विचार में भावों की, सत्य की गहराई देनी होगी, तभी उसमें गंभीरता आयेगी। तभी हमारा चिंतन या विचार इतना गहरा बनेगा कि उस पर कुछ भी तैराया जा सकेगा, किसी भी समस्या का पार पाया जा सकेगा। ध्यान के मूल्यांकन का यह एक नया संदर्भ है।
विचार को बदलना सीखें / ३३
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