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________________ सत्य की खोज का उपक्रम जब मनुष्य सत्य की खोज में प्रस्थान करता है, सत्य की अतल गहराई में जाता है, तब जो रहस्य उद्घाटित होता है, उससे भाव बदल जाते हैं। भाव परिवर्तन का एक बहुत बड़ा सूत्र है-सत्य की खोज। हम केवल विचारों में न उलझें। विचार मूल नहीं है। मूल है भाव। हम सत्य तक जाएं, गहराई में जाएं, वहां जाने पर भावों में परिवर्तन आना शुरू हो जायेगा। जो लोग ऊपर-ऊपर की बात करते हैं, उनके विचार पवित्र होने बहुत कठिन हो जाते हैं, क्योंकि भावों को परिष्कृत होने का अवसर ही नहीं मिलता। ____ ध्यान सत्य की खोज का उपक्रम है। जो व्यक्ति ध्यान में बैठता है, उसके सामने सचाई प्रकट होने लगती है। जैसे-जैसे ध्यान की गहराई में व्यक्ति जायेगा, उसके सामने सत्य प्रकट होने लगेगा। जैसे-जैसे सत्य प्रकट होगा, वैसे-वैसे भाव बदलने शुरू होंगे। जो आदमी बहुत गहराई में जाता है, उसके जीवन की शैली बदल जाती है। ध्यान करने वाले का केवल विचार ही नहीं, जीवन की पूरी शैली बदल जाती है। आहार में परिवर्तन, रहन-सहन में परिवर्तन, व्यवहार में परिवर्तन-सब बातें बदली-बदली-सी लगती हैं। अगर यह परिवर्तन न आए तो फिर ध्यान करने का औचित्य ही क्या रहा ? जर्मनी के एक मजिस्ट्रेट प्रेक्षाध्यान शिविर में आए। जब वे यहां से जाने लगे, लोगों ने पूछा- 'आपका अनुभव कैसा रहा? उन्होंने कहा-'अभी मैं क्या बताऊं ? घर जा रहा हूं। वहां अपने परिवार के साथ रहूंगा। मेरे पारिवारिकजन. मित्र और पड़ोसी कहेंगे कि तुम बदल गये हो तो मैं समझूगा कि मुझमें परिवर्तन आया है। वहां से मैं आपके प्रश्न का उत्तर लिखूगा कि कितना परिवर्तन आया है।' तीन प्रकार की जीवनशैली ध्यान एक अन्तःप्रेक्षण है। अपने आपको समझने का एक माध्यम है-निरीक्षण। दूसरा माध्यम है-अन्तःप्रेक्षण। अन्तःप्रेक्षण का अर्थ हैसत्य को भीतर से देखना। जिस व्यक्ति ने सत्य को भीतर से देखना शुरू किया, उसकी जीवनशैली निश्चय ही बदल जायेगी। हमारे सामने २८ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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