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१. विकसित राष्ट्र। २. विकासशील या विकासोन्मुख राष्ट्र।
३. अविकसित राष्ट्र। विभाजन का आधार है पदार्थ बहुत सारे देश हैं जो अविकसित हैं। हिन्दुस्तान विकासशील देश है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि विकसित राष्ट्र कहे जाते हैं। इन तीन वर्गों में पूरा संसार, पूरी मानव जाति बंटी हुई है। विकसित राष्ट्र वे हैं जहां गरीबी नहीं है, पदार्थ की बहुलता है, उद्योग बहुत हैं, शिक्षा का स्तर ऊंचा है। जहां उद्योग लग रहे हैं, शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो रहा है, गरीबी मिटाने के प्रयत्न हो रहे हैं, आर्थिक समृद्धि कुछ बढ़ी है, वे विकासशील राष्ट्र हैं। जहां शिक्षा का प्रतिशत न्यूनतम है, आर्थिक संसाधनों की अल्पता है, हर चीज के लिए जो दूसरे देशों पर निर्भर हैं, वे अविकसित राष्ट्र हैं। पूरी मानव जाति का विभाजन केवल पदार्थ के आधार पर अथवा केवल बौद्धिक विकास के आधार पर हुआ है। मूल बात को भुला दिया गया। विकास हर क्षेत्र में मूल बात यह है कि हमारा भावनात्मक और मानसिक विकास कितना हुआ है। यह विडंबना ही है कि इनके विकास को आज के युग में कोई मूल्य नहीं दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ है कि आज विकसित राष्ट्र के लोग जितनी नींद की गोलियां खा रहे हैं, उतने अविकसित और विकासशील राष्ट्र के लोग नहीं। विकसित राष्ट्र के लोग जितनी मानसिक व्यथा से पीड़ित हैं, मानसिक तनावों से ग्रस्त हैं, उतने विकासशील और अविकसित राष्ट्र के लोग नहीं। समाचारपत्र में पढ़ा-प्रति साढ़े तीन मिनट में एक तलाक जापान में हो रहा है। वहां एक वर्ष में तलाक का आंकड़ा एक लाख अस्सी हजार का है। ऐसा विकसित राष्ट्र में ही हो सकता है। ऐसा लगता है-तलाक के मामले में भी जैसे वह विकसित राष्ट्र है। जब प्रत्येक क्षेत्र में विकास हो रहा है तो तलाक के मामले में ही पीछे क्यों रहे ?
प्रश्न है-ऐसा क्यों होता है ? जब तक हम मानसिक और भावनात्मक विकास को विकास की सीमा में नहीं लायेंगे, तब तक मनुष्य जाति को
८ / विचार को बदलना सीखें
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