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कराया जाना चाहिए। अगर सान वर्ष की अवस्था से ये तीन बातें बच्चों को सिखा दी जाएं तो फिर किसी भी माता-पिता को आगे चलकर यह कहने की नौबत नहीं आएगी कि क्या हमने यही दिन देखने के लिए इतना पढ़ाया था ? ऐसा होता है तो बच्चे में जो अच्छे संस्कारों के बीज निहित हैं, उनके अंकुरित होने, पल्लवित पुष्पित होने और फलित होने का सहज ही अवसर मिल जाता है । यह ऐसी उर्वरा भूमि है, जिसमें अच्छे बीजों का उगना अनिवार्य है I
दीर्घश्वास का प्रयोग
प्रश्न है - ये संस्कार कैसे दिए जाएं ? इनके साधन क्या हो सकते हैं ? इसका पहला उपाय है- दीर्घ श्वास का प्रयोग । बच्चे को लम्बा श्वास लेना सिखाया जाए और धीरे-धीरे इतना अभ्यास करा दिया जाए कि वह एक मिनिट में चार-पांच श्वास लेना सीख जाए। अगर पांच या दस मिनट भी बच्चे को इस तरह का अभ्यास कराया जाए तो तीन महीने में बच्चे के व्यवहार में पर्याप्त अन्तर देखा जा सकता है। उसे क्रोध आना कम हो जायेगा, मादक वस्तुओं से वह बहुत दूर रहेगा । मादक वस्तुओं का सेवन मानसिक थकान मिटाने के लिए होता है। नशे की यह खूबी है कि वह एक बार तो स्वर्ग जैसी सुख की अनुभूति करा देता है । दीर्घ श्वास का अभ्यास करने वाला, वर्तमान में जीने वाला इस तरह के झूठे सुख की खोज में नहीं जायेगा । उसे दीर्घश्वास में उससे ज्यादा नशा मिलेगा, जितना मादक पदार्थ में मिलता है । उसे बाहर का नशा खोजने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । नशे के जो परिणाम हैं, आफ्टर इफेक्ट्स हैं, उनसे सभी परिचित हैं, फिर भी नशा करते हैं, इसलिए कि दुनिया के झंझटों से, परेशानियों से, मानसिक उलझनों से मुक्ति मिलती है, स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती है । दीर्घ श्वास का प्रयोग करने वाला नशे के बिना भी वैसा स्वर्गिक आनन्द पा लेता है, इसलिए नशा करने की बात उसके मन में ही नहीं आती है ।
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अनुभव सिद्ध तथ्य
अनेक बुरी आदतों से बचने का एक बहुत अच्छा उपाय है - दीर्घ श्वास
१७६ / विचार को बदलना सीखें
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