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________________ घटना भी पहाड़ बन जाती है। मन मजबूत है तो पहाड़ जैसी घटना भी राई जैसी मालम पड़ती है। प्रश्न है मन की दुर्बलता और प्रबलता का। हम हमेशा अपनी अशान्ति की व्याख्या घटना के साथ जोड़ कर करते हैं। इस भाषा में सोचते हैं-इतनी बड़ी घटना हो गयी, जिससे मन बहुत अशान्त बन गया। हम इस बात को भुला देते है कि बीच में एक और घटक है, वह घटक है मन । प्रत्येक घटना मन से छनकर आती है। यदि मन शक्तिशाली है तो वह किसी भी प्रकार की घटना को बहुत छोटा बना देगा। मन कमजोर है तो छोटी बात भी बहुत बड़ी बन जायेगी। मन को मजबूत बनाएं घटना पर हमारा कोई वश नहीं है, नियंत्रण नहीं है, वह हमारे रोके रुक भी नहीं सकती। इतनी बड़ी दुनिया है। कहीं न कहीं कुछ न कुछ घटित होता ही रहेगा। इस धरती पर रेल, प्लेन, मोटर, कारें, बसें, ट्रकें आदि परिवहन के साधन दिन-रात दौड़ रहे है। जल, थल और आकाश में इतनी यांत्रिक चीजें सतत चल रही है तो दुर्घटना कहीं भी कभी भी अवश्यंभावी है। क्या इस तरह की घटनाओं को रोक पाना पूर्ण रूप से हमारे हाथ में है ? नहीं है किन्तु अपने मन को मजबूत बनाना हमारे हाथ में है। हम मन को इतना मजबूत बना लें कि घटना हमें अशान्त और दुःखी न बना सके। उसका प्रभाव हो भी तो इतना नहीं कि जीवन भारभूत बन जाये। मन को मजबूत बनाने का यह एक सूत्र हाथ लग जाए तो अशांति की समस्या कभी उग्र नहीं बन सकती। क्या तुम रह पाओगे ? पुराने जमाने की बात है। एक राजकुमार लोगों के साथ बहुत कड़ा व्यवहार करता था। प्रजा उससे बहुत परेशान थी। राजतंत्र में राजा शक्तिशाली होता है। महाराजा के पास राजकुमार के अत्याचार की शिकायतें पहुंचीं। वह महाराजा का इकलौता पुत्र था। राजा बड़े पशोपेश में पड़ गये। उसे दंडित करें तो कैसे ? राजा ने सोचा-ऐसे तो वह मानेगा नहीं, रास्ते पर आयेगा नहीं, मेरे संन्यासी गुरु अवश्य ही उसे सन्मार्ग पर ला सकते हैं। राजा गुरु की शरण में गया, नमस्कार कर बोला-'महाराज ! मेरे पुत्र में शान्ति और शक्ति के साथ जीयें / १६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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