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________________ एक इकाई है परिवार सापेक्ष बात है अंधेरा है भी और नहीं भी। दोनों बातें सच हो सकती हैं। अनेकान्त दर्शन में विरोध जैसी कोई बात नहीं है। दो विरोधी धर्म एक साथ रह सकते हैं तो दो विरोधी विचार एक साथ क्यों नहीं रह सकते ? विरोध में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। जो व्यक्ति दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करना नहीं जानता, वह परिवार में रहकर शान्तिपूर्ण जीवन नहीं जी सकता। परिवार एक छोटी इकाई है। परिवार अहिंसा का एक छोटा प्रयोग है। सबसे पहला और छोटा प्रयोग कहीं करना है अहिंसा का तो परिवार में किया जा सकता है। जो व्यक्ति परिवार में रहते हुए अहिंसा का प्रयोग नहीं करता, वह धार्मिक कैसे हो सकता है ? अहिंसक कैसे हो सकता है ? परिवार में रहता है, धर्म भी करता है और दिन भर लड़ाइयां भी करता है, वह कैसा धार्मिक है ? ऐसे धार्मिक को देखकर ही एक युवक इस भाषा में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है-'मेरे पिताजी अपने को धार्मिक मानते हैं, पांच-सात सामायिक करते हैं, दिन का अधिकांश समय साधुओं के स्थान पर बिताते हैं, पर हमारे घर में सबसे ज्यादा लड़ाइयां भी वही करते हैं। यदि मुझे लड़ाई करना सीखना है तो बाजार बहुत बड़ा है। धर्मस्थान में जाकर लड़ाई क्यों सीखू ? धर्म का पहला पाठ यह बात केवल एक युवक की नहीं है। न जाने कितने लोगों के साथ ऐसा बीतता होगा। बहू के प्रति सास के मन में और सास के प्रति बहू के मन में, पिता के मन में पुत्र के प्रति और पुत्र के मन में पिता के प्रति इस प्रकार का विकल्प पैदा होता है कि यह इतना धर्म करता है और इतनी लड़ाइयां करता है तो कैसा धर्म करता है ? क्या धर्म यही सिखाता है ? सामायिक और लड़ाई-दोनों साथ नहीं चल सकते। या तो सामायिक होगी या लड़ाई। दोनों साथ में कैसे होंगे ? यदि दोनों को चलाना है तो फिर धर्म करने का मतलब क्या है ? धार्मिक व्यक्ति को जो सबसे पहला पाठ पढ़ना है, वह है अहिंसा और अनेकान्त का पाठ। अनेकान्त का पहला प्रयोग है सामंजस्य बिठाना। दो विरोधी विचारों में सामंजस्य, दो विरोधी रूढ़ियों में सामंजस्य । पारिवारिक जीवन और शान्त सहवास / १५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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