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में है। गरीब अभावजनित चिंता के कारण तनाव में रहता है, अमीर धन की सुरक्षा की चिंता में तनावग्रस्त होता है। कोई भी व्यक्ति तनाव का जीवन जीना नहीं चाहता। वह शांति चाहता है, मन की प्रसन्नता चाहता है। तनाव इन सबको लील जाता है। इसे दूर करने के लिए व्यक्ति नशे की शरण में जाता है। उसकी मूर्छा में कुछ क्षण बिताकर शान्ति का अनुभव करता है। मस्तिष्कीय प्रशिक्षण और ध्यान के प्रयोगों द्वारा चिंताजनित तनाव को दूर किया जा सकता है, मादक वस्तु के सेवन की मनोवृत्ति को भी बदला जा सकता है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली मस्तिष्क के बायें पटल को जागृत करने में सक्रिय है, मस्तिष्क का दायां पटल उपेक्षित है इसलिए अपराधी मनोवृत्ति को विकसित होने का अवसर मिल जाता है। शिक्षा मस्तिष्कीय पटलों के संतुलित विकास की संवाहक बने तो अपराधी मनोवृत्ति के उन्मूलन में पर्याप्त सफलता मिल सकती है।
१४८ / विचार को बदलना सीखें
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