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________________ हैं। संवेग के असंतुलन और नैतिकता के मूल्यों के ह्रास की समस्या के समाधान का विकल्प क्या होगा ? जैसे-जैसे विकास की गति तेज हो रही है वैसे-वैसे मनुष्य का संवेगात्मक असंतुलन बढ़ रहा है। आर्थिक अपराध से आज की चेतना जितनी ग्रस्त है, उतनी शायद पहले नहीं थी। आतंककारी मनोदशा में भी वृद्धि हुई है। क्या औद्योगिक और आर्थिक विकास इनको रोक पाएगा ? इनके निरोध का उपाय खोजे बिना मनुष्य प्रकृति के साथ नहीं जी सकता, मानसिक शांति और विश्व-शांति का स्वप्न भी नहीं ले सकता। नई दिशा विश्वविद्यालय की शिक्षा ने बौद्धिक विकास और वैज्ञानिक विकास के नए द्वार खोले हैं। हम इस युग के चिन्तन-मंथन और सुविधा की प्रचुर सामग्री से संतुष्ट हैं इसीलिए इस दिशा में निरन्तर आगे बढ़ने की बात सोच रहे हैं। तनाव, भय, अपराध और मादक वस्तुओं के सेवन की प्रवृत्ति संकेत दे रही है कि मनुष्य के भीतर भयंकर असंतोष है और वह असंतोष मनुष्य को प्रकृति के साथ अन्याय करने के लिए विवश कर रहा है। संतोष और असंतोष-दोनों की समीक्षा करने पर एक नई दिशा दिशा की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट होता है। वह दिशा है भावात्मक अनुभूति (इमोशनल इंटेलीजेंसी) की। क्या इस दिशा में कुछ सोचना आवश्यक नहीं है ? प्रकृति के साथ जीने के लिए पूरी जीवन शैली का विश्लेषण आवश्यक है। केवल भौतिक दृष्टिकोण से निर्मित जीवनशैली प्रकृति के साथ जीने का आधार नहीं देती। केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण के आधार पर निर्मित जीवनशैली जीवन यात्रा के लिए पर्याप्त नहीं होती। जीवनशैली को सर्वांगीण बनाने के लिए नए दर्शन की जरूरत है। उसके आधार पर आर्थिक विकास, भौतिक विकास और आध्यात्मिक विकास की सामंजस्यपूर्ण प्रणाली निर्धारित की जा सकती है। उसमें बौद्धिक विकास और भावात्मक विकास के संतुलन की उपेक्षा नहीं की जा सकती। सुख की अवधारणा जब तक इन्द्रियजन्य सुख-संवेदना के आधार पर चलने वाली जीवनशैली १३४ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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