SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ घड़ी का विकास किया, उन्होंने उसके आधार पर समय का भी निर्धारण किया है। प्रातःकाल चार बजे से पांच बजे तक हमारी प्राणशक्ति शरीर के किस अवयव में काम करती है ? छह से सात बजे तक किस अवयव में काम करती है ? किस समय मेलाटोनिन और सेराटोनिन का स्राव अधिक होता है ? प्राणशक्ति इनमें सहायक बनती है। जीवनशैली का पहला तत्त्व अध्यात्म और विज्ञान की ये दोनों धाराएं हमारे परिपार्श्व में चल रही हैं। सत्य कभी दो नहीं होता। चाहे कोई भी खोजे। किसी भी माध्यम से किसी भी नाम से खोजें, सत्य कभी दो हो नहीं सकता। वह एक ही होता है, अन्यथा नहीं होता। कहने का प्रकार, भाषा, शैली-ये सब भिन्न हो सकते हैं, किन्तु सत्य एक होता है। इन सबके आधार पर हम जीवनशैली का एक निर्धारण करें तो जीवनशैली का पहला तत्त्व होगा-संयम। बड़ी आवश्यकता है इसकी। आहार का संयम करें, इन्द्रिय और वाणी का संयम करें। यदि वाणी का संयम हो जाये तो समाचारपत्रों के लिए यह समस्या खड़ी हो जाए कि इतना क्या लिखें ? समाचारपत्रों में तो वाणी का असंयम ही असंयम दिखाई देता है। यदि संयम जीवनशैली का अंग बन जाये तो समस्या को उलझने का अवकाश ही न मिले। हमारे शरीर में संयम की प्राणलियां हैं। रासायनिक नियंत्रण प्रणाली, विद्युत्-नियंत्रण प्रणाली हमारे शरीर में बराबर काम कर रही है। क्रोध को पैदा करने का सिस्टम हमारे शरीर में है तो उसे नियंत्रित करने वाला सिस्टम भी हमारे शरीर में है। वह रोक देता है-अभी इतना क्रोध मत करो, श्वास गड़बड़ा जायेगा। ये दोनों प्रणालियां हैं हमारे शरीर में। लाइट और ब्रेक जीवनशैली का दूसरा सूत्र है-समता। इस संदर्भ में अध्यात्म और योग की गहराई में चाहे हम न जाएं किन्तु एक व्यावहारिक धरातल पर अवश्य सोचें। इस संदर्भ में समता का अर्थ होगा-अपने इमोशन्स पर कंट्रोल करना, उन्हें संतुलित करना। यदि आज समाज के बड़े-बड़े लोग अपने संवेगों पर नियंत्रण करना सीख जाएं तो मानना चाहिए कि पचास प्रतिशत स्वास्थ्य : अध्यात्म और विज्ञान के संदर्भ में / १२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy