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________________ बढ़ सकती है। विद्युत् नियंत्रण प्रणाली स्नायु संस्थान की विद्युत् शक्ति द्वारा शरीर को नियंत्रित करती है। उसे बुद्धि से अल्प मात्रा में और भावना से अधिक मात्रा में प्रभावित किया जा सकता है। अध्यात्म योग और ध्यान की पद्धति का समुचित प्रशिक्षण संवेग नियंत्रण और संवेग संतुलन की दिशा में काफी सफल हो सकता है। अनासक्ति स्वस्थ समाज संरचना की जीवनशैली का तीसरा आधार है अनासक्ति। आधुनिक अर्थशास्त्र ने आसक्ति की चेतना को बहुत उभारा। उससे भूख की समस्या का समाधान हुआ है, किन्तु आर्थिक अपराधों में वृद्धि हुई है। अमीरों की अमीरी अधिक बढ़ी है, गरीबों को उतनी सुविधा नहीं मिली है, जितनी अपेक्षित है। आसक्ति को कम करने का ध्रुव सिद्धान्त है-धन सब कुछ नहीं है, वह जीवन यात्रा को चलाने का एक माध्यम है। उसके लिए चेतना के शेष आयामों पर पर्दा डाल देना समाज को रुग्ण बनाने का प्रयत्न है। अनासक्ति का जीवन में अवतरण सरल कार्य नहीं है। उसके लिए प्रशिक्षण और प्रयोग जरूरी हैं। जीवनशैली की त्रिपदी संयम, समता और अनासक्ति-यह स्वस्थ जीवनशैली की त्रिपदी है। स्वस्थ जीवनशैली से ही स्वस्थ समाज रचना का कार्य पूर्ण हो सकता है। अहिंसा और शान्ति इस जीवनशैली के फलित हैं। हम फलित को प्राप्त करना चाहते हैं, जीवनशैली को बदलना नहीं चाहते-किमाश्चर्यमतः परम्। अध्यात्म और विज्ञान-दोनों एक ही सत्य के दो पक्ष हैं। वैज्ञानिक शोध का उद्देश्य था-मानवीय समस्याओं को सुलझाना किन्तु आज उसका व्यवसायीकरण हो गया इसलिए वह भय, आतंक और हिंसा का प्रतीक बनता जा रहा है। आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर इस व्यावसायिक वृत्ति को कम किया जा सके तो जीवनशैली को बदलने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज या कल, हमें एक दिन १२२ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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